नया रिसर्च: गर्भावस्था में स्मोकिंग से बचें, बढ़ जाता है बच्चे के पागल होने का खतरा
फिनलैंड में किए गए एक नए अध्ययन में सामने आया है कि सिगरेट पीने वाली महिलाओं के बच्चे भविष्य में ‘सिजोफिर्निया’ के शिकार हो सकते हैं।’सिजोफिर्निया’ एक तरह की दिमागी बीमारी है। बच्चो में ऐसा तब तब और भी खासतौर से बढ़ जाता है, जब महिलाएं गर्भावस्था के दौरान स्मोकिंग करती हैं।
वैज्ञानिकों ने 1,000 सिजोफेर्निया के रोगियों के डाटा का विश्लेषण किया। उन्होंने मरीजों के बर्थ और हेल्थ रिकॉर्ड्स को अप्रभावित नियंत्रित व्यक्ितयों से मिलाया और इसके आधार पर यह नतीजा दिया। शोधकर्ताओं ने पाया कि 20 फीसद सिजोफेर्निया के मरीजों की मांओं ने गर्भावस्था के दौरान खूब स्मोकिंग की थी।
शोध में पाया गया है कि जो महिलाएं निकोटिन लेती हैं, उनके बच्चों में आगे चलकर गंभीर मानसिक बीमारी होने का जोखिम अधिक होता है। मां के खून में अधिक निकोटिन की मौजूदगी होने पर ‘सिजोफिर्निया’ होने की आशंका 38 फीसदी बढ़ जाती है।
न्यूयॉर्क सिटी में यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया के सीनियर रिसर्चर प्रोफेसर एलन ब्राउन के मुताबिक शायद ये पहला बायोमार्कर आधारित अध्ययन है, जिससमें सामने आया है कि भ्रूण के निकोटिन के संपर्क में आने और सिजोफेर्निया होने का आपस में संबंध है।
निकोटिन प्लीसेंटा को आसानी से पार कर जाता है और भ्रूण के खून में प्रवेश कर जाता है। इससे गर्भ में पहल रहे बच्चे को न्यूरोडेवलपमेंटल एबनॉर्मेलिटी (मानसिक बीमारी) हो सकती है।