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नवरात्रि में किस दिन करें कौन सी देवी की पूजा और क्या लगाए भोग…

img_20160930011729हिंदू धर्म के अनुसार एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है, लेकिन हमाके देश में दो नवरात्रि ही मनाई जाती हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन किया जाता है। जानिए नवरात्रि में किस दिन कौन सी देवी की पूजा कर

पहले दिन करें मां शैलपुत्री का पूजन
नवरात्रि के पहले दिन को मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। 
उपाय- इसदिन माता को घी का भोग लगाएं तथा उसका दान करें। इस उपाय से रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर निरोगी होता है।
दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की आराधना
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं। 
उपाय- नवरात्रि के दूसरे दिन माता को शक्कर का भोग लगाएं तथा उसका दान करें। इससे साधक को लंबी उम्र प्राप्त होती है।
 तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा का पूजन
नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा की तीसरी शक्ति माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को भौतिक , आत्मिक, आध्यात्मिक सुख और शांति मिलती है। मां की उपासना से घर-परिवार से नकारात्मक ऊर्जा यानी कलह और अशांति दूर होती है। 
उपाय-इस दिन माता को दूध चढ़ाएं और इसका दान करें। ऐसा करने से सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है।
चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की उपासना
नवरात्रि के चौथे दिन की प्रमुख देवी मां कुष्मांडा हैं। देवी कुष्मांडा रोगों को तुरंत की नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है।
उपाय- चतुर्थी तिथि को माता को मालपूआ चढ़ाएं व गरीबों को दान कर दें। इससे सभी प्रकार की समस्याएं स्वत: ही समाप्त हो जाती हैं।
पांचवे दिन करे स्कंदमाता की पूजा
धर्म शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है।  स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि जीवन स्वयं ही अच्छे-बुरे के बीच एक देवासुर संग्राम है व हम स्वयं अपने सेनापति हैं। 
उपाय- पंचमी तिथि यानी नवरात्रि के पांचवे दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं व गरीबों को केले का दान करें। इससे आपके परिवार में सुख-शांति रहेगी।
छठे दिन करें मां कात्यायनी का पूजन
नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। कात्यायन ऋषि के यहां जन्म लेने के कारण माता के इस स्वरुप का नाम कात्यायनी पड़ा। अगर मां कात्यायनी की पूजा सच्चे मन से की जाए तो भक्त के सभी रोग दोष दूर होते हैं। इस दिन साधक का मन ‘ आज्ञा ‘ चक्र में स्थित होता है। 
उपाय- षष्ठी तिथि यानी छठे दिन माता दुर्गा को शहद का भोग लगाएं व इसका दान भी करें। इस उपाय से धन आगमन के योग बनते हैं।
सातवे दिन करें मां कालरात्रि की पूजा
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति को कालरात्रि के नाम से जाना जाता हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘ सहस्रार ‘ चक्र में स्थित रहता है। उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। 
उपाय- सप्तमी तिथि को माता को गुड़ की वस्तुओं का भोग लगाएं तथा दान भी करें। इससे दरिद्रता का नाश होता है।
आठवे दिन करें माता महागौरी की आराधना
माँ दुर्गाजी की सातवीं शक्ति को कालरात्रि के नाम से जाना जाता हैं। दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन ‘ सहस्रार ‘ चक्र में स्थित रहता है। उसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। 
उपाय- सप्तमी तिथि को माता को गुड़ की वस्तुओं का भोग लगाएं तथा दान भी करें। इससे दरिद्रता का नाश होता है।
अंतिम दिन करें मां सिद्धिदात्री की उपासना
भक्तों नवरात्र के आखिरी दिन मां जगदंबा के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती है। देवी दुर्गा के इस अंतिम स्वरुप को नव दुर्गाओं में सबसे श्रेष्ठ और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। 
उपाय- नवमी तिथि के दिन माता को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं व यथाशक्ति गरीबों में दान करें। इससे लोक-परलोक में आनंद व वैभव मिलता है।
 

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