नवाज की मंत्रियों को सलाह, भारत के खिलाफ न बोलें
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने मंत्रियों को भारत विरोधी बयान देने से मना किया है, ताकि शांति प्रक्रिया बाधित न हो। नवाज के करीबी एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि प्रधानमंत्री ने मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को कोई भी ऐसा बयान नहीं देने के लिए कहा है, जिससे शांति प्रक्रिया में खलल पड़े।
‘द नेशन’ की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने कहा, “पिछली बातों की बजाय अब शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने वाले बयान दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने अपने सभी करीबियों और कैबिनेट के सदस्यों को शांति का प्रचार करने के लिए कहा है।”
अधिकारी ने कहा कि नवाज भारत के साथ बेहतर संबंधों के प्रति आशावादी हैं, जिससे पूरे क्षेत्र को काफी फायदा मिलेगा।
अधिकारी ने कहा कि नवाज भारत की ओर से इस बयान से काफी नाखुश थे कि वह पाकिस्तान के साथ चर्चा में उसके कब्जे वाले कश्मीर पर ही बातचीत करेगा, लेकिन प्रधानमंत्री जल्द ही समझ गए कि यह भारत सरकार की नीति नहीं है।
अधिकारी के मुताबिक, नवाज चाहते हैं कि जब दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया के बारे में चर्चा हो तो उसमें कश्मीर, आतंकवाद और व्यापार को प्राथमिकता दी जाए।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ शांति के संदर्भ में सेना का रुख भी यही है।
अधिकारी ने कहा, “सरकार और सेना के विचारों में कोई अंतर नहीं है और दोनों ही देशों का मानना है कि मुख्य मुद्दों पर घोषित स्थिति को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।”
पेरिस में नवाज और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात तथा बैंकॉक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की बैठक के बाद द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की स्थिति उत्पन्न हुई है।
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में शामिल होने के लिए भी आठ दिसम्बर को पाकिस्तान गई थीं।
इस सम्मेलन के दौरान उन्होंने शरीफ और उनके विदेश मामलों सलाहकार सरताज अजीज से मुलाकात की थी।
ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि नवाज और मोदी अगले साल जनवरी में स्विट्जरलैंड में मिलेंगे। दोनों नेता 20 जनवरी को दावोस-क्लोस्टर्स में होने वाले विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की 46वीं वार्षिक बैठक में हिस्सा लेंगे।
विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान और भारत के बीच सभी मुख्य मुद्दों को सुलझाने के लिए की जाने वाली व्यापक वार्ता में सकारात्मक विकास हो रहा है।