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नाबालिग भाई के साथ मिलकर डी.यू. की छात्रा ने मकान मालिक के बेटे को किडनैप कर मांगे 5 करोड़

नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली के घिटोरनी गांव में नाबालिग भाई के साथ मिलकर दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा ने गुरुवार शाम अपने मकान मालिक के तीन वर्षीय बेटे का अपहरण कर लिया। आरोपियों ने बच्चे को छोड़ने के लिए पांच करोड़ की फिरौती मांगी। हालांकि किसी अनहोनी से पहले ही वसंतकुंज थाना पुलिस ने आरोपी छात्रा और उसके भाई को शुक्रवार को गिरफ्तार कर बच्चे को सकुशल मुक्त करा लिया। पुलिस उपायुक्त देवेन्द्र आर्या के मुताबिक, घिटोरनी गांव निवासी एक युवक का तीन वर्षीय बेटा 11 अक्तूबर की शाम घर के बाहर से गायब हो गया। परिजनों ने करीब दो घंटे तक बच्चे को तलाशा, लेकिन उसके नहीं मिलने पर उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी। पिता के फोन पर मैसेज आया कि उनका बच्चा हमारे पास है, अगर सुरक्षित देखना चाहते हो तो घर के बाहर से पुलिस हटा दो। परिजनों ने पुलिस अधिकारियों को इसकी सूचना दी। पुलिसकर्मियों को तुंरत पीड़ित परिवार के घर के पास से हटा दिया गया। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त बेनिता मैरी जैकर व अजय पाल सिंह को मामले की जांच सौंपी गई। दोनों अधिकारियों ने एसएचओ वसंतकुंज साउथ संजीव कुमार और एसएचओ वसंतकुंज नॉर्थ रितुराज की आठ टीम बनाईं। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की मदद से आरोपियों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। इसी दौरान आरोपियों ने पीड़ित परिवार के फोन पर व्हाट्सएप कॉलिंग की। इसमें आरोपियों ने बच्चे को छोड़ने के लिए 5 करोड़ की मांग की। परिजनों ने इतने पैसे न होने की बात कही। आरोपी से 50 लाख में बात तय हो गई। इसी दौरान पुलिस टीम ने मोबाइल सर्विलांस की मदद से आरोपियों को घिटोरनी इलाके से ही गिरफ्तार कर लिया। आरोपी छात्रा डीयू से बीकॉम प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रही है। आरोपी छात्रा ने अपहरण के बाद बच्चे को घिटोरनी इलाके में ही पांच दिन पहले किराये पर लिए एक कमरे में छिपा दिया। इसके बाद दोनों घर आ गए व परिजनों के साथ बच्चे को ढूढ़ने का नाटक करते रहे। बच्चे के न मिलने पर जब पुलिस को फोन किया गया था तो आरोपी परिजनों के साथ ही थी। परिजनों ने पुलिस को फोन किया और पुलिस मौके पर पहुंची तो छात्रा वहां से अपने कमरे में चली गई और वहां से उसने परिजनों को मैसेज किया और पुलिस को वापस भेजने की बात कही। पुलिस टीमों को घिटोरनी और इलाके के आसपास की सभी सड़कों पर बैरिकेड लगाकर वाहनों की जांच का काम सौंपा गया, जिससे किसी भी हालत में बच्चा इलाके से बाहर न जा पाए। इसके साथ ही, कुछ पुलिसकर्मियों को बाइक से गश्त पर लगाया गया था। पुलिस की हर टीम के पास बच्चे का फोटो और परिजनों के मोबाइल नंबर दिए थे, जिससे कि अगर किसी भी पुलिस टीम को बच्चे से संबंधित कोई भी जानकारी मिले तो तुंरत आलाधिकारियों और परिजनों को सूचना दी जा सके। फिरौती के लिए अपहृत बच्चे को शिकायत मिलने के बाद 100 पुलिसकर्मियों की आठ टीमों ने 20 घंटे बाद उसे सकुशल मुक्त करा लिया। जांच के दौरान पुलिस टीम ने इलाके में चल रहे मोबाइल का डाटा निकाला। इसमें से 150 मोबाइल नंबरों की जांच शुरू की। इस दौरान 13 जगहों पर छापेमारी भी की गई। वहीं, सीसीटीवी कैमरे में पुलिस को छात्रा के भाई की फुटेज मिल गई। इससे पुलिस को पुख्ता सबूत मिल गया कि वह वारदात में शामिल है। इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हो गया। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे तीन माह से वारदात की साजिश रच रहे थे, मगर इससे पहले उन्हें मौका नहीं मिल पा रहा था। इंस्पेक्टर संजीव की टीम ने मोबाइल और इंटरनेट की मदद से आरोपी छात्रा के नंबर को ट्रेस किया, लेकिन बच्चे की सुरक्षा को देखते हुए घिटोरनी इलाके में देर रात को महिला पुलिसकर्मियों की मदद से सादी वर्दी में छापेमारी शुरू की गई। वारदात के करीब आठ घंटे बाद आरोपी छात्रा पुलिस के कब्जे में थी। आरोपी ने पुलिस पूछताछ के दौरान गुमराह किया और बताया कि उसका दोस्त वारदात में शामिल है, जो बच्चे को लेकर फरार है। मगर, सीसीटीवी फुटेज के बाद पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो आरोपी टूट गई और उसने बच्चे का पता बता दिया।

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