अद्धयात्म
नारद नहीं, यह किसान था विष्णु का सबसे बड़ा भक्त
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नारद को हैरानी हुई। वे किसान के घर जा पहुंचे। उन्होंने देखा, किसान ने सुबह उठकर ईश्वर को याद किया। फिर वह काम पर चला गया। दिनभर उसने भगवान का नाम नहीं लिया। सोते समय एक बार फिर उसने ईश्वर को याद किया।
नारद ने नारायण से कहा- प्रभु सिर्फ दो बार में वह प्रिय कैसे हो गया? तब नारायण ने तेल का मटका नारद के सिर पर रखा और धरती का चक्कर काटने के लिए कहा। साथ ही यह शर्त बताई कि एक भी बूंद धरती पर नहीं गिरनी चाहिए।
नारद धरती का चक्कर लगाने लगे। वे दिनभर धरती का चक्कर लगाते रहे। शाम को नारायण के पास आए और बोले, मैंने एक बूंद भी नीचे नहीं गिराई।
तब नारायण ने पूछा, मेरा नाम कितनी बार लिया?
नारद बोले, काम आपका था, उसी में मेरा ध्यान था। फिर नाम कैसे लेता?
नारायण बोले, किसान को भी मैंने काम दिया है, इसलिए उसका समर्पण भी मेरी पूजा है।
मंत्र- कर्म भी भगवान की पूजा का एक रूप है।