निजी स्कूलों के पास लौटाने के लिए पैसा नहीं, बैंकों से ले रहे लोन

नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के नीजि स्कूल फीस वापसी को लेकर काफी तनाव में है। कोर्ट और सरकार ने जल्द से जल्द फीस लौटाने का आदेश दिया है। ऐसे में बात यह आती है कि जिन स्कूलों के पास पैसा है वह तो फीस लौटा देंगे लेकिन इन 449 में करीबन 350 स्कूल ऐसे हैं जो फीस लौटाने में सक्षम नहीं है और अब यह स्कूल बैंक से लोन ले रहे हैं। 350 स्कूलों में से कुछ स्कूल कच्ची कॉलोनियों में हैं तो कुछ के पास वैसे ही लौटाने के लिए पर्याप्त राशि नहीं है। दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.सी. जैन ने बताया कि आधे से ज्यादा स्कूलों के पास फीस लौटाने के लिए पैसा नहीं है। जैन का कहना है कि इन नीजि स्कूलों में 25 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जिन्हें सरकारी नियम के तहत मुफ्त में पढ़ाया जाता है।
फीस लेन-देन के लिए अलग अकांउट
जैन ने बताया कि दो दिन पहले हुई इन स्कूलों के साथ एक बैठक में यह फैसला लिया गया कि फीस लौटाने और अन्य लेन-देन के लिए एक अलग बैंक अकाउंट खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘जस्टिस अनिल देव सिंह कमेटी फीस रिफंड अकाउंट’ के नाम से बैंक में यह अकांउट खोला जाएगा।
दो साल से नहीं बढ़ी थी फीस…
पिछले लगभग दो सालों से स्कूलों मे फीस नहीं बढ़ी थी जिसके चलते अब स्कूलों में पैसे की कमी आ रही है। अब अचानक स्कूलों को फीस वापस लौटाने का फरमान दिया गया है, जिसके चलते स्कूलों की हालत खराब है। जैन ने कहा कि स्कूल किसी न किसी तरीके से फीस तो लौटा देंगे लेकिन हम सब मिलकर इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज देने की योजना बना रहे हैं।
नोटबंदी और जीएसटी के चलते नहीं मिली फीस…
बता दें कि नोटबंदी और जीएसटी के चलते स्कूलों में छात्रों ने समय पर फीस नहीं भरी थी। जैन ने बताया कि कई छात्र तो ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले 6 महीनों से फीस नहीं दी है, लेकिन इसके बावजूद भी छात्रों को पढ़ाया जा रहा है। पहले नोटबंदी और अब जीएसटी से स्कूलों की हालत और ज्यादा खराब हो गई जिसके चलते अब नीजि स्कूल फीस लौटाने में सक्षम नहीं है।