नेताओं की सुरक्षा आरटीआई के दायरे से बाहर!
वीआईपी सुरक्षा के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट से कई बार कड़ी फटकार खा चुकी राज्य सरकारें इस कदर सकते में हैं कि नेताओं की चाक चौबंद सुरक्षा के बारे में सूचना देने को भी तैयार नहीं है।
मंत्री-संत्री तो दूर की बात मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा के खर्च और तैनात लोगों की संख्या बताने से भी सरकारें कतरा रही हैं।
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत इस मुद्दे पर पूछे गए सवालों का उत्तर प्रदेश सरकार ने देने से इनकार कर दिया है। जवाब में राज्यपाल के निर्देश का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह सूचना आरटीआई के दायरे में नहीं आती है।
अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, मुलायम सिंह यादव और मौजूदा मुख्यमंत्री की सुरक्षा के संबंध में अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने आरटीआई के जरिए सूचना मांगी थी।
राज्य के गृह अनुभाग की ओर से इस आरटीआई पर यह कहा गया कि अभिसूचना विभाग सुरक्षा मुख्यालय, मुख्यमंत्रियों व अन्य विशिष्ट लोगों की सुरक्षा का कार्य देखता है। अनुभाग के मुताबिक इस तरह की सूचना को आरटीआई के दायरे से बाहर रखा गया है।
याद रहे कि सर्वोच्च अदालत इस मसले पर केंद्र और राज्य सरकारों को कई बार फटकार लगा चुकी है। हाल ही में अदालत ने कहा था कि सरकार की ओर मुहैया कराई गई लाल बत्ती और सुरक्षा का दुरुपयोग समाज के लिए एक बुराई है। इसे हर हाल में रोका जाना� चाहिए। संवैधानिक पदों के अलावा अन्य सभी को इनका दुरुपयोग करने से रोका जाना चाहिए।
आरटीआई कार्यकर्ता के मुताबिक यूपी सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर इस मसले की सूचना को आरटीआई के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
डिंपल यादव की सुरक्षा पर भी सवाल
अधिवक्ता की ओर से वीआईपी सुरक्षा के मामले में भेजी गई आरटीआई के जवाब में 10 जुलाई, 2006 को जारी की गई उस अधिसूचना को भी संलग्न किया गया है, जिसमें इस तरह की सूचना को आरटीआई के दायरे से बाहर रखने की घोषणा की गई थी। आरटीआई में मौजूदा मुख्यमंत्री की पत्नी व सांसद डिंपल यादव की सुरक्षा के संबंध में भी सवाल किया गया था। लेकिन राज्य सरकार ने उस पर भी जवाब नहीं दिया।