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नैनीताल को सदा के लिए जिंदा कर गए शशि कपूर

नैनीताल: नैनी झील में उठती लहरें, ठंड का अहसास और नौका पर सवार शशि कपूर-शर्मिला टैगोर। दौर 60 के दशक का है और मौका प्यार के इकरार (रील लाइफ में) का। जैसे ही नाव पानी से अठखेलियां करते हुए बढ़ने लगी तो गाना चला…दिन हैं बहार के तेरे-मेरे इकरार के, दिल के सहारे आजा प्यार करें…। वक्त की करवट के साथ जिस तरह यह गाना बॉलीवुड के सदाबहार नगमों का शामिल हुआ है, ठीक उसी तरह ‘वक्त’ ने शशि कपूर की यादों के साथ नैनीताल को भी ‘अमर’ कर दिया है। शशि दुनिया से रुखसत हो गए, मगर इस गीत में नैनीताल उनके साथ रहेगा। नैनीताल को सदा के लिए जिंदा कर गए शशि कपूर

फिल्म ‘वक्त’ 1965 में रिलीज हुई थी। यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में राज कुमार, सुनील दत्त, बलराज साहनी व साधना जैसे मंझे हुए अभिनेता थे। फिल्म के एक खास गीत के फिल्मांकन के लिए लोकेशन के तौर पर तब नैनीताल को चुना गया। यह ऐसी पहली फिल्म थी, जिसमें नैनी झील की मंत्रमुग्ध कर देने वाली सुंदरता को बड़ी ही खूबसूरती के साथ फिल्माया गया। हिंदी सिनेमा जगत में यह गीत बेहद लोकप्रिय हुआ और लोगों की जुबां पर चढ़ गया। उस दौर में नैनी झील में सफेद रंग की पाल नौकाएं चला करती थीं। 

पाल नौका में शशि कपूर व शर्मिला टैगोर की जोड़ी को बेहद पसंद किया गया। इस गीत की पूरी शूटिंग झील में हुई। शशि और शर्मिला गीत के बहाने प्रेम का इकरार (फिल्म में) करते रहे। इस गीत के फिल्मांकन में कई दिन लग गए। फिल्म की शूटिंग देखने वालों का तांता अंतिम शॉट तक लगा रहा। शशि कपूर के फैन गोविंद लाल का कहना है कि वह देखने में जितने में सुंदर थे, उनकी अदायगी भी उतनी ही मदहोश करने वाली थी। 

1985 में दोबारा नैनीताल आए 

फिल्म ‘वक्त’ की शूटिंग के दौरान चंद दिनों में ही शशि को नैनीताल इतना भाया कि वह दोबारा वर्ष 1985 में नैनीताल आए। न्यू दिल्ली टाइम्स की शूटिंग यहां कई दिनों तक हुई। शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी सुरेश गुरुरानी बताते हैं कि इस फिल्म की शूटिंग बोट हाउस क्लब में हुई थी। इसके अलावा कुमाऊं मंडल विकास निगम की ओर से संचालित रोप-वे में भी शूटिंग हुई। फिल्म में रोप-वे में ही मर्डर का सीन फिल्माया गया था। वह तब मेट्रोपोल होटल (अब शत्रु संपत्ति) में ठहरे हुए थे। 

बॉलीवुड ने नैनीताल की लोकप्रियता बढ़ाई 

न नीताल की लोकप्रियता को देश-दुनिया के सामने परोसने में रुपहले पर्दे की बड़ी भूमिका रही है। देश आजाद होने के बाद से वर्ष 2005 तक यहां बॉलीवुड के नामचीन निर्माता-निर्देशक आते रहे और फिल्मी पर्दे के जरिये नैनीताल की सुंदरता को लोगों तक पहुंचाते रहे। 

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