नॉएडा में 9 साल बाद मिली रेप की सजा, ‘जूवेनाइल’ को भेजा रिफॉर्मेशन होम
जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने जूवेनाइल को साल 2009 में नोएडा में एक एमबीए स्टूडेंट को अगवा कर रेप का दोषी मानते हुए तीन साल के लिए सुधार घर भेजने का फैसला सुनाया है। वह अब बालिग हो चुका है लेकिन बुरी संगति की वजह से उसमें अब भी आपराधिक प्रवृत्ति की मौजूदगी पाते हुए बोर्ड ने यह फैसला सुनाया।
स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नीलम नारंग ने पीड़िता की बहन के साथ बोर्ड को बताया था कि अब तक किसी भी अथॉरिटी और सरकार ने उसे कोई मुआवजा नहीं दिया है। बोर्ड ने कहा, लड़की ने हिम्मत नहीं हारी और बोर्ड के सामने जूवेनाइल की पहचान की। यह बहुत ही दुख की बात है कि पीड़िता को बदले के डर से न केवल अपना शहर, राज्य, यहां तक कि देश भी छोड़ना पड़ा। बोर्ड ने यूपी स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के सेक्रेटरी से अनुरोध किया है कि विक्टिम कॉम्पेंसेशन स्कीम के तहत उचित मुआवजा दिलाएं, जो करीब 10 लाख के करीब आंका जा रहा है। बोर्ड ने बचावपक्ष के दो गवाहों अमित चंद और सुंदर पाल के खिलाफ झूठे साक्ष्य पेश करने के जुर्म में तीस हजारी कोर्ट के चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट के पास शिकायत भी दर्ज कराने का निर्देश दिया है।
5 जनवरी 2009 को शाम 5 बजे नोएडा के सेक्टर-39 में जूवेनाइल ने अपने वयस्क साथियों के साथ शिकायतकर्ता अमित पंवार और पीड़ित लड़की के साथ लूटपाट की, उन्हें चोटें पहुंचाई। दोनों को अगवा कर एकांत जगह ले गए। लड़की के साथ उसकी कार में जूवेनाइल ने अपने साथियों के साथ गैंगरेप किया। नोएडा पुलिस ने 6 जनवरी को एफआईआर दर्ज की और 10 जनवरी को जूवेनाइल को उसके नौ वयस्क साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। जूवेनाइल के पास से शिकायतकर्ता से लूटा गया फोन बरामद हुआ था। हालांकि पिछले दिनों ट्रायल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उसके नौ साथियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। 11 मई 2009 में यूपी की ही कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट के 10 नवंबर, 2014 के निर्देश पर केस यूपी से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया। यहां मौजूद जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने जूवेनाइल के खिलाफ आईपीसी के तहत लूटपाट, अगवा करने और गैंगरेप से जुड़े आरोपों की इंक्वायरी शुरू की। उसने बोर्ड के सामने खुद को बेकसूर बताया।