उत्तर प्रदेशराजनीति
नोट Ban के बाद एक हुआ Sp परिवार, मायावती की रणनीति पर फिरा पानी
नईदिल्ली: UP विधानसभा चुनाव नजदीक ही है। लेकिन देश में नोटबंदी के बाद से चुनाव का रंग थोड़ा फीका पड़ गया है। नेता अपने चुनावी तैयारी को छोड़कर मोदी के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
सपा-बसपा और कांग्रेस अब रैली की जगह नोटबंदी पर बहस कर रही हैं। वहीं पांच सौ और एक हजार के नोट बंदी से भले ही आम जनमानस परेशान हो रहा हो लेकिन वह भी कह रही है कि इसके चलते सपा परिवार की कलह और बसपा की भागदौड़ खत्म हो गई।
सत्ताधारी पार्टी सपा के परिवारिक कलह व बहुजन समाज पार्टी में प्रत्याशियों की अदला-बदली से अभी तक राजनेता ही आरोप लगा रहे थे कि यह सब रूपयों के चलते हो रहा है। लेकिन अब करेंसी एक्सचेंज के लिए घंटों बैंकों पर लाइन में लगने वाले लोग ऐसी ही राजनीतिक चर्चा करते देखे जा रहें है।
इस फैसले के बाद सपा में चल रहा परिवारिक विवाद भी खत्म हो गया है। राहुल गांधी ने पिछले माह खाट यात्रा शुरू की, इसमें हजारों की संख्या में किसान और मजदूर उनकी चौपाल में शिरकत करने के लिए आए। लेकिन पीएम के नोट बंदी रूपर बाण के चलते कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की यात्रा पर फीकी पड़ गई है। सीएम अखिलेश यादव के साढ़े चार साल के विकास कार्यों पर अब लोगों का ध्यान न के बराबर है, वहीं राहुल गांधी की खाट यात्रा भी पब्लिक के दिमाग से निकल गई है।
पीएम मोदी के इस फैसले से यूपी के राजनीतिक दलों में खलबली मची हुई है। धन व बाहुबल से चुनाव जीतने वाले अब अपने मंसूबों पर कामयाब नहीं हो पाएंगें। इस फैसले का चुनाव पर क्या फर्क पड़ेगा यह तो समय ही बाताएगा। लेकिन फिलहाल देश की स्थिति बहुत खराब है। अब कालाधन रखने वाले धनकुबेर नोटों की होली जलाकर ताप रहे हैं। साथ ही यूपी में जिस तरह से सपा और बसपा वोट खरीदते हैं उसमें भी विराम लगेगा।