नोटबंदी : बुरहानपुर में 15 हजार पावरलूम बंद
प्रदेश में जिन जिलों में उद्योग ज्यादा हैं, नोटबंदी के बाद वहां हालात अधिक खराब हैं। खरगोन में कपास उद्योग को झटका लगा है तो रतलाम में सराफा कारोबार ठप पड़ा है। बुरहानपुर के अधिकतर पावरलूम मांग न होने के कारण बंद हो चुके हैं। मंडला में डोलामाइट खदान के मजदूर बेरोजगार घूम रहे हैं। ये स्थितियां कब सुधरेंगी, इस बारे में कोई बोलने को तैयार नहीं है। प्रदेश के कुछ जिलों का हाल-
बुरहानपुर : 30 हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार
यहां हालात बहुत ज्यादा खराब है। यहां करीब 15 हजार पावरलूम बंद हो चुके हैं। इससे करीब 30 हजार से अधिक मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। यहां अधिकतर पावरलूम घर पर ही चलते हैं। मांग न होने के कारण लोगों ने काम बंद कर दिया है।
दूसरी तरफ पापड़ बनाने वाली 5 छोटी यूनिट बंद होने से 50 मजदूर बेरोजगार हो चुके हैं। बीड़ी और रेशम ककून उत्पादन यूनिट से भी 25 फीसदी मजदूरों को हटा दिया गया है। उद्योग नगर की सभी साइजिंग फैक्ट्री में काम आधा हो चुका है। कारोबारियों के मुताबिक उन्होंने 25 से 30 फीसदी मजदूरों को हटा दिया है।
खरगोन
मांग में कमी और मंदी के कारण जिले की सेंचुरी डेनिम फैक्ट्री को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। इसके 760 कर्मचारियों को फिलहाल निकाल दिया गया है। इस कंपनी का टर्नओवर 75 करोड़ से अधिक है। जिले के कपास उद्योग को भी झटका लगा है। इसके 100 से अधिक फुटकर व्यापारी हैं। इनमें से अधिकतर का कारोबार ठप पड़ा है। इसी तरह महेश्वर में 1 हजार लूम ऑर्डर कैंसल होने से ठप हो गए हैं। इससे भी कई बेरोजगार हो गए हैं।
बड़वानी
जिले के सेंधवा में कपास के 15 कारखाने हैं। इनमें कुल 1500 कर्मचारी और मजदूर काम करते
हैं। नोटबंदी के कारण पर्याप्त मात्रा में कपास नहीं आ रहा है। इस कारण मजदूरों को 6 दिन के बदले 2 दिन ही काम मिल रहा है।
खंडवा
सराफा बाजार में 200 से अधिक बंगाली कारीगर काम करते थे। मंदी के कारण काम न होने से इसमें से अब तक 100 लोग पश्चिम बंगाल लौट चुके हैं।
भोपाल
यहां मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों पर ज्यादा असर है। इसमें टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री प्रमुख हैं। इन इंडस्ट्री में 15 से 20 फीसदी उत्पादन घटाया गया है। कई कंपनियों ने दिवाली पर आधा बोनस दिया था और आधा नए साल में देने का वादा किया था। अब स्थिति ये हो गई है कि कर्मचारियों को नए साल में बोनस नहीं दिया जाएगा।
रतलाम
यह शहर सराफा कारोबार का बड़ा केंद्र है। यहां छोटी-बड़ी करीब 300 दुकानें हैं। कई ज्वेलरों ने गहने बनाने वाले कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया है। व्यापारियों के मुताबिक, रतलाम में छोटे-बड़े 5 हजार बंगाली कारीगर काम करते हैं। इनमें से अब सिर्फ आधे ही रह गए हैं। मतलब 2500 लोग बेरोजगार हो चुके हैं। इनमें से अधिकतर तो पश्चिम बंगाल लौट चुके हैं। व्यापारियों ने घुंघरू बनाने वाले 90 फीसदी कारीगर छुट्टी पर भेज दिए हैं।
मंडला
जिले में डोलामाइट की कई खदानें हैं। यहां से डोलामाइट भिलाई के प्लांटों में जाता है। नोटबंदी के चलते भुगतान देने में दिक्कत आ रही थी। इस कारण खदान संचालकों ने करीब 75 फीसदी मजदूर घटा दिए। करीब 42 डोलोमाइट खदान में 2000 मजदूर काम करते थे। इनकी संख्या अब 500 के करीब हो गई है। मतलब 25 फीसदी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।