पंजाब में टूट की कगार पर आम आदमी पार्टी!
संजीव त्रिवेदी, नई दिल्ली (30 अगस्त): अब तक पंजाब में अपनी दमदार मौजूदगी के लिए जानी जा रही है आम आदमी पार्टी अब राज्य में दो फाड़ होने की कगार पर है। केंद्रीय नेतृत्व द्वारा Convenor के पद से हटाए गए सुच्चा सिंह छोटेपुर के समर्थकों की संख्या बढ रही है और वे बगावत पर उतारू हैं।
केंद्रीय नेतृत्व ने हालांकि मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की, लेकिन बात जो सूच्चा सिंह के स्टिंग वाले मामले के बाद पटरी से उतरी है वो संभल नहीं पा रही है। इस बीच पंजाब में बागियों द्वारा एक नए पार्टी के गठन की चर्चाएं हैं।
गुरदासपुर में अरविंद केजरीवाल का पोस्टर जलाने वाले लोग आम आदमी पार्टी के ही वर्कर हैं। पार्टी की पंजाब इकाई के वैसे वर्कर जो कभी केजरीवाल के समर्थन में मार्च करते थे, आज उनके विरोध में मोर्चा खोले हुए है। नतीजा ये है कि लोकसभा चुनाव में चार सीट जीत कर, विधानसभा चुनाव में फतह की उम्मीद लगाए आम आदमी पार्टी पंजाब में अब टूट के कगार पर है।
विवाद के केंद्र में हैं सुच्चा सिंह छोटेपुर जिन्हें एक स्टिंग के हवाले से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भ्रष्टाचारी घोषित कर दिया है और ये बात सुच्चा सिंह के समर्थकों को मंजूर नहीं। सुच्चा सिंह छोटेपुर पर टिकटों की सौदेबाजी का आरोप है, जिसे वे साजिश करार देते हैं और मामले में CBI की जांच की मांग कर रहे हैं। उन्हें पद से हटाए जाने बाद पार्टी की पंजाब इकाई के 13 में से 6 जोनल कनवीनर सुच्चा सिंह के समर्थन में हैं और सुच्चा सिंह को फिर से बहाल किए जाने की मांग कर रहे हैं।
कंट्रोल के लिए आम आदमी पार्टी की तरफ से मंगलवार को बड़े चेहरे उतारे गए। आम आदमी पार्टी की मुश्किल ये है कि सुच्चा सिंह विवाद के बाद संजय सिंह और दुर्गेश पाठक जैसे बड़े नेताओं की पंजाब में मौजूदगी को पंजाबी बनाम गैर-पंजाबी का रूप दिया जा रहा है और उन्हें वापस भेजे जाने की मांग हो रही है। आम आदमी पार्टी की इस फूट ने विपक्ष को मौका दिया है और विपक्ष विवाद को दिल्ली बनाम पंजाब का भी कलेवर दे रहा है।
सुच्चापुर कभी अकाली दल में थे, फिर कांग्रेस में आए जहां से उन्हें अरविंद केजरीवाल ने सगठन को मजबूत करने के लिए आम आदमी पार्टी में बुला लिया। राज्य के लगभग हर जिले में उनकी पकड़ है जिसकी वजह से उन्हें नई पार्टी बना डालने की सलाह दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार सुच्चापुर पार्टी के गठन पर जल्द फैसला ले सकते हैं और इसमें उन्हें कांग्रेस से नाराज चल रहे जगमीत बरार के साथ-साथ एक बड़े आश्चर्य के तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू का भी साथ मिल सकता है।