पद्मश्री मीना शाह का निधन
लखनऊ। सात बार की राष्ट्रीय चैम्पियन रहीं बैडमिंटन खिलाड़ी मीना शाह का मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद सहारा हास्पिटल में निधन हो गया।
भारी शरीर को भी मीना ने दी थी मात
भारतीय महिला बैडमिंटन के इतिहास को देखें तो केवल तीन महिलायें सात बार लगातार राष्ट्रीय चैंपियन रही हैं। पहली मीना शाह दूसरी मधुमिता बिष्ट और तीसरी अपर्णा पोपट । मधुमिता और अपर्णा में खास बात यह थी कि दोनों अपने कॅरियर के दौरान काफी स्लिम-ट्रिम थीं। वहीं मीना का डील-डौल उनके ठीक उलट था, लेकिन भारी शरीर उनके खेल कॅरियर में कभी आड़चन नहीं बना और खेलते समय उन्होंने अपने विरोधियों को कोर्ट पर खूब नचाया। उनकी चुश्ती-फुर्ती देख दर्शक भी दांतों तले उंगलियां दबा लेते थे।
उस जमाने के मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी नन्दू नाटेकर उनके खेल के बहुत कायल थे। मीना और नन्दू नाटेकर 1963 में थाईलैण्ड के एक टूर्नामेंट में मिक्स डबल्स का फाइनल मैच खेलने उतरे। थाईलैण्ड के तत्कालीन राजा भूमिबोल बैडमिंटन के बहुत शौकीन थे। उन्होंने जब भारी-भरकम मीना को देखा तो दंग रह गये कि ऐसे डील-डौल की लड़की इतने स्तरीय टूर्नामेंट के फाइनल में कैसे पहुंच सकती है! इससे भी ज्यादा उन्हें आश्चर्य तब हुआ जब देखते ही देखते नंदू और मीना ने थाईलैण्ड की बेस्ट जोड़ी को धूल चटा दिया।
मीना की महिला जोड़ीदारों में जशबीर कौर, सुनीला आप्टे और सरोजनी आप्टे की सबसे ज्यादा चर्चा की जाती है। कश्मीरी मुस्लिम पिता और मराठी ब्राह्मण मां की बेटी मीना पर सभी धर्मों का बराबर प्रभाव था। एक घटना का जिक्र करते हुये वह बताया था कि ‘एक बार मैं पूना मैच खेलने गई, जहां मेरी विरोधी लीलावती बाल को एक व्यक्ति मराठी भाषा में यह सोचकर मैच टिप्स दे रहा था कि मुझे मराठी नहीं आती होगी। मैं मंद-मंद मुस्कराती रही और शुरू से ही उनकी आशा के विपरीत खेलते हुये चौंकाती रही और अंतत: मैच अपने पक्ष में कर लिया।’ मीना शाह का जन्म 31 जनवरी 1937 को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में हुआ था। मीना ने लखनऊ के आईटी कॉलेज से स्नातक की शिक्षा ली और लखनऊ विश्वविद्यालय से साइकोलॉजी में परास्नातक की डिग्री हासिल की। बकौल मीना उन्हें साइकोलॉजी से कोई पेशेवर लाभ तो नहीं मिला लेकिन खेल के दौरान उन्होंने इसका विरोधी खिलाड़ियों पर खूब इस्तेमाल किया।
ढेरों थीं उपलब्धियां
– सन् 1959 से 1965 तक लगातार सात बार राष्ट्रीय महिला बैडमिंटन चैंपियन रहीं।
– सन् 1960 में ऑल इंग्लैण्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में तीसरे राउंड तक पहुंचने वाली पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं।
– सन् 1959 में उनके दमदार खेल के चलते भारत ने मलेशिया को हराकर उबेर कप अपने नाम किया।
– सन् 1962 में उनके रहते भारतीय टीम ने हांगकांग से उबेर कप जीता।
-सन् 1962 में उन्हें उस समय के सर्वोच्च खेल सम्मान अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया।
-सन् 1974 उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें लक्ष्मण पुरस्कार से नवाजा।
-सन् 1977 में उन्हें पदमश्री से सम्मानित किया गया।
-दस्तक टाइम्स ने भी उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया था।