परित्याग के बाद देवी सीता ने यहां ली थी शरण
एजेन्सी/ अनुश्रुति है कि पंजाब के प्रसिद्ध रामतीरथ मंदिर का संबंध रामायण काल और रामवंशियों से सीधे तौर पर जुड़ा है। कहते हैं, यहां इस महाकाव्य के रचयिता वाल्मीकि का आश्रम हुआ करता था। माना जाता है कि उन्होंने रामायण के कई महत्वपूर्ण अध्यायों को यहीं पर लिपिबद्ध किया था।
अमृतसर से केवल 11 किमी. दूर अवस्थित इस तीर्थस्थान के बारे में यह भी कहा जाता है कि श्रीराम द्वारा परित्याग करने के बाद देवी सीता ने यहीं शरण ली थी। लव और कुश का जन्म, उनकी शिक्षा-दीक्षा और प्रशिक्षण भी यहीं हुआ था।
अगस्त तक बनकर तैयार होगा मंदिर
उम्मीद है कि अमृतसर स्थित पंजाब सरकार की यह महत्वाकांक्षी धार्मिक परियोजना ‘करूणासागर वाल्मीकि तीर्थ स्थान’ अगस्त तक बनकर तैयार हो जाएगी। इसी परिसर में प्रसिद्ध रामतीर्थ (रामतीरथ) मंदिर स्थित है।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि मंदिर के विभिन्न स्थलों पर काम तेजी से चल रहा है और 70 फीसदी ढांचा पूरा हो चुका है।
विशेष आर्किटेक्ट पैटर्न पर बन रहा है तीर्थस्थल
पंजाब सरकार ने इस महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए 185 करोड़ रूपये का बजट रखा है जिसका काफी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है।
‘तीर्थस्थान’ का डिजाइन अलग पहचान बनाने के लिए विशेष रूप से एक अलग पैटर्न पर बनाया गया है। मंदिर का निर्माण पंजाब पीडब्ल्यूडी विभाग करा रहा है और आर्किटेक्ट सलाहकार अमृतसर के गुरू नानक देव विश्वविद्यालय का आर्किटेक्चर विभाग है।