पहली बार यूपी के मंत्री की रद्द होगी सदस्यता, छिनेगा बेसिक शिक्षा मंत्री का पद
लखनऊ: यूपी सरकार के बेसिक शिक्षा और बाल पुष्टाहार राज्यमंत्री कैलाश चौरसिया को अब अपना पद छोड़ना पड़ेगा। एक डाककर्मी से मारपीट और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में मिर्जापुर कोर्ट ने अलग-अलग मामलों में उन्हें सात साल की सजा सुनाई है। कानून कहता है कि आपिराधिक मामलों में दो साल से ज्यादा सजा पाए जनप्रतिनिधियों को की सदस्यता स्वयं ही खत्म हो जाती है। यूपी का यह पहला ऐसा मामला है, जब किसी मंत्री को आपराधिक वारदात में संलिप्त होने के कारण सजा हुई है। बताते चलें कि, कैलाश चौरसिया मिर्जापुर नगर विधायक हैं और वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। पोस्टमैन कृष्णदेव त्रिपाठी 19 अक्टूबर 1995 को मिर्जापुर के रतनगंज मोहल्ले में डाक देने गए थे। उसी दौरान कैलाश ने उनसे कथित तौर पर मारपीट की। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और कृष्ण देव ने उन पर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप भी लगाया दिया। चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट राजेश भारद्वाज ने 20 साल तक चले विवाद में मंत्री कैलाश चौरसिया को सजा सुनाई है। भारतीय दंड संहिता की धारा 353 और 504 के तहत दो-दो साल और 20-20 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है। धारा 506 में तीन साल की सजा और पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। सभी सजा एक साथ चलेगी।