दरअसल, टी-18 ट्रेन को दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाने की तैयारी है। इसके संचालन की संभावित तिथि अभी 29 दिसंबर बताई जा रही है। सीआरएस ने इसे अनुमति दे दी है। ट्रेन का संचालन उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मंडल में ही होना है। इसी वजह से इसका स्पीड ट्रायल 27 दिसंबर को दिल्ली से जंक्शन के बीच सुनिश्चित किया गया है। दिल्ली से इस ट्रेन को गुरुवार की सुबह कालका मेल की रवानगी के पूर्व रवाना किए जाने की तैयारी की गई है। हालांकि, यहां दोपहर में ट्रेन जोधपुर हावड़ा के आने के बाद पहुंच सकती है।
इस मंडल की बात करें तो यहां अभी राजधानी, शताब्दी की अधिकतम स्पीड 130 किमी प्रतिघंटा है। ऐसे में टी-18 इस खंड में कितनी अधिकतम स्पीड से चल सकती है, वह गुरुवार को परखा जाएगा। 20 दिसंबर को आगरा मंडल में टी-18 ट्रेन 181 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चली थी। तब दिल्ली सफदरगंज से आगरा कैंट के बीच 108 मिनट में टी-18 पहुंची थी। माना जा रहा है कि 27 को यह ट्रेन 150 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ाई जा सकती है। यहां ट्रेन को नवनिर्मित प्लेटफार्म पर खड़ा किया जा सकता है। एनसीआर के सीपीआरओ गौरव कृष्ण बंसल के मुताबिक ट्रेन गुरुवार को दिल्ली से कितने बजे चलेगी अभी यह तय नहीं है। जंक्शन आने के बाद ये वापस यहां से दिल्ली चली जाएगी।
टी-18 के समय को लेकर पशोपेश
देश में निर्मित पहली स्वदेशी टी-18 ट्रेन के समय पर अड़ंगा लग गया है। प्रयागराज और वाराणसी के लोगों ने इस ट्रेन को शाम के बजाय सुबह के समय वाराणसी से चलाने की मांग की है। तर्क दिया है कि शाम के समय दिल्ली के लिए तमाम ट्रेनें हैं। वाराणसी से काशी विश्वनाथ, शिवगंगा, मंडुवाडीह-नई दिल्ली है तो प्रयागराज से हमसफर, दुरंतो एक्सप्रेस और प्रयागराज एक्सप्रेस प्रमुख रूप से शामिल है। बताया जा रहा है कि रेलवे बोर्ड तक यह मामला पहुंचा दिया गया है। बोर्ड ने भी इस पर मंथन शुरू कर दिया है। रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने भी इस संबंध में अफसरों से वार्ता की है।