पांच गुना बढ़ी नोटों की छपाई, आरबीआई को इस वजह से लेना पड़ा ये फैसला
सरकारी सूत्रों ने बताया कि एक महीने में 70,000-80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नकद भंडार बनाने के लिए सभी चारों प्रिंटिंग केंद्र सप्ताह में सातों दिन काम रही हैं। अधिकारी ने कहा, इससे पहले एक महीने में 10,000-15,000 करोड़ रुपये के नोट छापे जा रहे थे।”
अधिकारी ने बताया कि 29 अप्रैल से नोटों की छपाई हर दिन 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2,500 करोड़ रुपये हो गई है।
एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा, “हालिया नकद संकट के मद्देनजर यह पूरी तरह से आरबीआई का फैसला है। उसने जरूर कुछ मूल्यांकन किया होगा। जब तक आरबीआई को तसल्ली नहीं हो जाती तब तक प्रिंटिंग जारी रहेगी।” सूत्र ने बताया कि नकदी संकट की स्थिति के दौरान नकद भंडार कम हो गया है। मौजूद समय में आरबीआई के पास 1.75 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी है।
छापे जा रहे नोटों में से ज्यादातर 500 रुपये के नोट हैं। इससे पहले मुख्य रूप से 10 रुपये, 100 रुपये और 200 रुपये के छोटे मूल्य के नोट छापे जा रहे थे।
पिछले महीने देश में नकदी की मांग में अचानक आई तेजी के बाद नकदी की आपूर्ति 45,000 करोड़ रुपये बढ़ा दी गई थी। औसत 15,000 करोड़ रुपये रहनेवाली नकदी की मांग अप्रैल में 45,000 करोड़ रुपये हो गई थी।
इससे पहले कुछ अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया था कि बढ़ती अर्थव्यवस्था में नकदी की मांग को पूरा करने के लिए देश को 70,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आपूर्ति की जरूरत हो सकती है।
मौजूदा समय में वित्तीय प्रणाली में 18.4 लाख करोड़ रुपये नकदी मौजूद है, जो नोटबंदी से पहले के आसपास है।
पिछले महीने देश के आधे दर्जन राज्यों में अचानक एटीएम में नकद संकट की स्थिति पैदा हो गई थी। इस बीच सरकार ने कहा था कि एटीएम में नकद की उपलब्धता सामान्य है। अधिकारियों ने बताया, “राज्यों में 85-90 फीसदी एटीएम काम कर रहे हैं। सभी बैंक शाखाओं में पर्याप्त नकद उपलब्ध है।”