पाकिस्तान के उच्च न्यायालय ने गुरुवार को अपने फैसले में कहा कि हिंदू बहनों रवीना और रीना को जबरन मुसलमान नहीं बनाया गया. पाकिस्तान की कोर्ट ने उन्हें अपने पतियों के साथ रहने की इजाजत दे दी.
रवीना (13) और रीना (15) के पतियों ने पुलिस के कथित उत्पीड़न के खिलाफ इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उससे कुछ दिन पहले इन लड़कियों के पिता और भाई ने आरोप लगाया था कि ये लड़कियां नाबालिग हैं और अगवा कर उनका जबरन धर्मांतरण करा दिया गया. धर्मांतरण के बाद दोनों बहनों की मुस्लिम युवकों से शादी करा दी गई थी.
पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर है कि अपनी अर्जी में लड़कियों ने दावा किया कि वे घोटकी (सिंध) के एक हिंदू परिवार से जरूर हैं लेकिन उन्होंने इस्लामिक उपदेशों से प्रभावित होकर अपना धर्म बदला. लेकिन इन लड़कियों के अभिभावकों के वकील ने कहा कि यह जबरन धर्मांतरण का मामला है.मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह ने इस बात की जांच के लिए पांच सदस्यीय आयोग बनाया था कि क्या इन दोनों हिंदू बहनों का जबरन धर्मांतरण कराया गया या मामला फिर कुछ और है.
खबर के अनुसार, मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी, प्रख्यात मुस्लिम विद्वान मुफ्ती ताकी उस्मानी, पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ मेहदी हसन, राष्ट्रीय महिला दर्जा आयोग के खवार मुमताज और मशहूर पत्रकार एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता आई रहमान ने इस आयोग मामले की जांच की और आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि यह जबरन धर्मांतरण नहीं है.
इन दोनों बहनों को होली के मौके पर प्रभावशाली व्यक्तियों के एक समूह ने सिंध के घोटकी जिले में उनके घर से कथित रूप से अगवा कर लिया गया था. अपहरण के तुरंत बाद एक वीडियो सामने आया था जिसमें एक मौलवी दोनों का कथित रूप से निकाह कराते हुए नजर आ रहा था. इस पर पूरे देश में आक्रोश फैला था.हंगामा होने के बाद पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस मामले की जांच के आदेश दिए.
जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस घटना पर पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त से ब्योरा मांगा तब उनके और पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया था. इससे पहले भी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हिंदू लड़कियों के जबरन धर्मांतरण की घटनाएं सामने आती रही हैं. सोशल मीडिया पर पहले ही कई यूजर्स ने आशंका जाहिर की थी कि कोर्ट में हिंदू लड़कियों के जबरन धर्मांतरण की बात साबित नहीं हो पाएगी. पहले भी धर्मांतरण के कई मामलों में कोर्ट ने ऐसा ही फैसला सुनाया है.