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पाक में चुनाव आयोग खामियों की वजह से हाफिज सईद के उम्मीदवार लड़ेंगे चुनाव

एक गैर-पंजीकृत पार्टी होने के बावजूद प्रतिबंधित संगठन जमात-उद दावा का राजनीति चेहरा मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) पाकिस्तान के लोकसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों को उतारने में कामयाब हो गया है। यह संगठन 2008 में मुंबई में आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का है। एमएमएल ने एक निष्क्रिय लेकिन पंजीकृत पार्टी अल्लाह-ओ-अकबर (एएटी) के साथ गठबंधन किया है। इस पार्टी को चुनाव आयोग ने कुर्सी का चुनाव चिह्न आवंटित किया हुआ है।

एएटी ने एमएमएल के 265 उम्मीदवारों को 25 जुलाई को पाकिस्तान में होने वाले आम चुनाव के लिए टिकट दे दिया है। एमएमएल के उम्मीदवारों में हाफिज सईद का बेटा हाफिज तल्हा सईद और दामाद खालीद वलीद भी शामिल हैं। एमएमएल का चुनाव में खड़ा होना ना केवल पाकिस्तान चुनाव आयोग में बल्कि आंतरिक मंत्रालय की खामियों को दिखाता है। आयोग और मंत्रालय ने सईद की पार्टी को पंजीकृत करने से मना कर दिया था क्योंकि उसके नेता और सदस्य प्रतिबंधित आतंकी समूह से ताल्लुक रखते हैं। 

एएटी के अध्यक्ष इहसान बारी ने किसी भी समूह या पार्टी के साथ गठबंधन होने की बात से साफ इंकार किया है और कहा है कि उसने 300 टिकट बांटे हैं। उन्होंने कहा, ‘एमएमएल ने हमारे उम्मीदवारों को समर्थन देने की घोषणा की है। कराची की एक और पार्टी पाकिस्तान हमदर्द पार्टी ने भी हमारे उम्मीदवारों का समर्थन करने की बात कही है।’ 

एक प्रतिष्ठित पत्रकार नजरुल इस्लाम ने कहा, ‘राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि एएटी ज्यादातर जमात-उद दावा के एजेंडा को प्रसारित करता है। एएटी जमात और फलाह-ए-इंसानियत के संस्थापक हाफिज सईद का विवादित, कट्टरपंथी और भारत-विरोधी चुनावी अभियान चलाएगा। एमएमएल ने संकेत दिया था कि वह एएटी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा लेकिन चुनाव आयोग उसके खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ रही।’

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