पाकिस्तान में इस तरह चुनते हैं अपनी सरकार
पाकिस्तान की आवाम आज आम चुनाव के जरिए अपनी सरकार चुनने जा रही है. इस चुनाव में पाकिस्तान की करीब 100 राजनीतिक पार्टियां मैदान में हैं और इनकी किस्मत का फैसला आज हो जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर पड़ोसी देश पाकिस्तान में चुनाव कैसे होता है और यह आम चुनाव भारत से कितने अलग हैं…
पहले आपको बता दें कि इस बार चुनाव में 3459 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं और आम चुनावों में कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े 460 उम्मीदवार मैदान में हैं. इस बार के चुनाव में मजहबी पार्टियों से जुड़े उम्मीदवारों की यह अब तक की रिकॉर्ड संख्या है. वहीं 4 प्रांतीय असेंबली की 577 सीटों के लिए 8396 उम्मीदवार मैदान में है.
भारत और पाकिस्तान के चुनाव में ज्यादा अंतर नही हैं और ना ही यहां की सरकार का सिस्टम भारत से अलग है. भारत की संसद की तरह पाकिस्तान की सदन में भी दो सदन होते हैं, निचले सदन को राष्ट्रीय असेंबली और ऊपरी सदन को सीनेट (Senate) कहते हैं. यह राष्ट्रीय असेंबली भारत की लोकसभा की तरह होती है.
पाकिस्तान की संसद को मजलिस-ए-शूरा कहा जाता है और निचले सदन यानी राष्ट्रीय अंसेबली को कौमी इस्म्ब्ली कहा जाता है. वहीं उच्च सदन यानी सीनेट को आइवान-ए बाला कहा जाता है.
हालांकि भारत में राष्ट्रपति संसद का हिस्सा नहीं होता है, जबकि पाकिस्तान की संसद में दोनों सदनों के साथ राष्ट्रपति भी शामिल होता है.
कैसे होते हैं आम चुनाव- भारत के ऊपरी सदन राज्यसभा की तरह पाकिस्तानी सीनेट के सदस्यों को प्रांतीय असेंबलियों के सदस्य चुनते हैं, जबकि निचले सदन राष्ट्रीय असेंबली के सदस्यों को आम चुनाव से चुना जाता है, जो 25 जुलाई को होने जा रहे हैं.
भारत की लोकसभा में कुल 545 सदस्य हैं, जिसमें दो मनोनीत किए जाते हैं, जबकि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्यों की संख्या 342 है, लेकिन इनमें सिर्फ 272 सदस्य ही प्रत्यक्ष मतदान के जरिए चुने जाते हैं. वहीं अन्य 70 उम्मीदवारों के लिए चुनाव नहीं होता है.
कैसे होता है इन 70 का चुनाव- इन 70 सीटों में 60 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं तो 10 सीटें पाकिस्तान के पारंपरिक और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षित होती हैं. इनका चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व नियम के तहत होता है.
क्या है आनुपातिक प्रतिनिधित्व नियम- चुनाव में उतरने वाली पार्टियां कुछ उम्मीदवारों की सूची तैयार करती है. जो पार्टी जनता के वोट पाकर जितनी ज्यादा अनारक्षित यानी सामान्य सीटें जीतती है, उसी अनुपात में आरक्षित 70 सीटों पर उनके उम्मीदवार राष्ट्रीय असेंबली के लिए चुने जाते हैं. यानी जिस पार्टी ने सबसे ज्यादा सामान्य सीटें हैं, उसके उतने ही ज्यादा उम्मीदवार आरक्षित सीटों से सांसद बनेंगे.
भारत में सांसदों को मेंबर ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता है, जबकि यहां सदस्यों को मेंबर ऑफ नेशनल असेंबली (MNA) कहा जाता है. यहां भी एक स्पीकर होता है.
कैसे होता है सीनेट का चुनाव- पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन सीनेट में 104 सदस्य होते हैं और यह अलग अलग आधार पर चुने जाते हैं. विकिपीडिया के अनुसार 14 सदस्य प्रत्येक विधानसभा से, 8 सदस्य फाटा से, 2 सदस्य एक महिला सीट और एक टेक्नो टोकरा, 4 महिला सदस्य प्रत्येक विधानसभा से, 4 उलेमा प्रत्येक विधानसभा से, हर प्रांत से एक सीट अल्पसंख्यक सदस्य चुना जाता है.
सीनेट के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है. सीनेट को ऐसे कई विशेष अधिकार दिये गए हैं, जो नेशनल असेंबली के पास नहीं है. इस संसदीय बिल बनाने के रूप में एक कानून के लिए मजबूर किया जा रहा की शक्तियों को भी शामिल है.