पटना । लोकसभा चुनाव में जनता दल (जद-यू) शर्मनाक पराजय के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को राज्यपाल डी. वाई. पाटिल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा सौंपने के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा ‘‘बिहार में पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व कर रहा था। परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं होने के कारण इसकी नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया है।’’ उन्होंने साफ किया कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है 243 सदस्यीय विधानसभा भंग करने की सिफारिश नहीं की है। उन्होंने कहा कि विधायक दल की बैठक रविवार शाम बुलाई गई है। 24 नवंबर 2००5 को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नीतीश ने कहा ‘‘हमें अपेक्षित समर्थन नहीं मिला…और इसमें कोई संदेह नहीं कि जनादेश भाजपा के पक्ष में है।’’ नीतीश को 2०1० के विधानसभा चुनाव में दोबारा मौका मिला। उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले शुक्रवार को लोकसभा चुनाव के घोषित नतीजों में राज्य में सत्तासीन जनता दल (युनाइटेड) का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा। राज्य की 4० सीटों में से पार्टी को केवल दो सीटों पर ही सफलता मिल पाई और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव भी मधेपुरा से चुनाव हार गए। 2००9 के चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन में पार्टी को 2० सीटें मिली थी।
इस बार भाजपा को 22 और उसके सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को छह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) को तीन सीटें मिली हैं। राष्ट्रीय जनता दल को चार जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस को दो और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को एक सीट मिली है। एक व्यवसायी अशोक कुमार सिंह ने कहा ‘‘यह बिहार के लिए एक बड़ा धक्का साबित होगा। नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य विकास पथ पर अग्रसर था। हम इसकी उम्मीद नहीं करते थे।’’एक छात्र अनंत कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार के इस्तीफे से वह हत्प्रभ रह गए हैं।अनंत ने कहा ‘‘मैं समझता हूं कि यह जाति और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का नतीजा है क्योंकि वे केवल विकास की बात करते हैं और लोगों से उनके कामकाज को समर्थन देने की अपील करते रहे हैं।’’नीतीश कुमार के लिए सबसे शर्मनाक बात यह रही कि लोकसभा चुनाव के साथ ही जिन पांच विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराए गए उनमें से उनकी पार्टी को सिर्फ एक सीट पर ही कामयाबी मिली जबकि राजद ने तीन और भाजपा के खाते में एक सीट गई। चुनाव नतीजों के घोषित होने के बाद से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बिहार में सरकार का पतन हो जाएगा क्योंकि पार्टी के विधायक पाला बदल सकते हैं।बिहार विधानसभा में जद-यू के 118 विधायक हैं जबकि भाजपा के 91 विधायक। 22 विधायकों के साथ राजद तीसरे स्थान पर है और कांग्रेस के 4 व 8 अन्य हैं।अभियंत्रण की शिक्षा पाए नीतीश कुमार छह बार सांसद चुने गए और केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं।भाजपा से अलग होने के फैसले को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा ‘‘वह फैसला एकदम सही था। कोई फायदे के लिए गठबंधन नहीं टूटा था। वह नीतिगत और सैद्धांतिक फैसला था।’’ नीतीश ने कहा कि जनादेश का सम्मान होना चाहिए। मतदाताओं ने भाजपा को जनादेश दिया है। आशा है कि चुनाव प्रचार के दौरान किए गए वादे सरकार पूरा करेगी और हमलोगों को भी अच्छे दिन आने का अनुभव होगा।