पिता की मौत के बावजूद कोहली कर चुके हैं शानदार बैटिंग
नई दिल्ली: वो 18 दिसंबर 2006 की बात है, जब विराट कोहली रणजी क्रिकेट में डेब्यू कर रहे थे। वो दिल्ली की ओर से उस रोज कर्नाटक के लिए बल्लेबाजी कर रहे थे। 90 रन की उस दमदार पारी के दौरान पूरे समय समय कोहली इस सच के साथ विकेट पर डटे हुए थे कि उनके पिता की उस दिन तड़के मौत हो चुकी है।
18 दिसंबर 2006 को दिल्ली और कर्नाटक के बीच रण्ाजी ट्राफी का मैच खेला जाना था। ग्रुप “ए” का ये मैच में फिरोजशाह खेला जा रहा था। जिसमें दिल्ली की तरफ से एक युवा बल्लेबाज विराट कोहली डेब्यू कर रहे थे। डेब्युटेंट कोहली वहां अपना सिर अपने हाथों में थामे बैठे थे। उस सुबह तड़के 4 बजे उनके पिता प्रेम कोहली का देहांत हो गया। इसके बावजूद कोहली ने बैटिंग करने का फैसला लिया।
इस मैच में कर्नाटक ने पहली पारी में 446 रन का स्कोर पहले दिन खड़ा कर लिया था। दूसरे दिन दिल्ली की टीम कर्नाटक के स्कोर का पीछा करने उतरी तो उनके 5 विकेट जल्द ही आउट हो गए थे। इसके बाद 18 साल का एक युवा बल्लेबाज कोहली बल्लेबाजी करने आया। दूसरे दिन के खेल खत्म होने तक कोहली और पूनीत बिस्ट ने पारी को संभाला और स्कोर को 103 तक ले गए।खेल खत्म होने तक कोहली 40 रन बनाकर नॉट आउट थे और वे दिल्ली के ओवरनाइट बैट्समैन थे। उसी रात कोहली को पता चला कि उनके पिता का ब्रेन हैमरेज के चलते देहांत हो गया है। दिल्ली को मैच में वापस लाने के लिए कोहली का बल्लेबाजी करना बेहद जरूरी था। इसीलिए जब टीममेट्स को लगा कि उनको अब अपने घर जाना चाहिए लेकिन कोहली ने अपना फर्ज टीम के लिए पहले समझा और पारी को आगे बढ़ाया। उस मुश्किल भरे वक्त में कोहली ने ना सिर्फ मैदान पर रूक कर दमदार पारी खेली बल्कि दिल्ली की टीम को फॉलोऑन से बचने के लिए तैयार कर दिया था। उस विपरीत परिस्थिति में कोहली ने 281 मिनट बैटिंग की और 238 गेंद का सामना करते हुए 90 रन की पारी खेली थी। जिस वक्त कोहली आउट हुए उस के बाद दिल्ली को फॉलोओन बचाने के लिए सिर्फ 36 रनों की जरूरत थी। कोहली के इस बेहद ही महत्वपूर्ण पारी के कारण दिल्ली की टीम मैच बचाने में सफल रही थी। 90 रन की बेहतरीन पारी खेलने के बाद कोहली तुरंत अपने पिता की अंत्येष्टि में चले गए।