भारत अपने पहले अंतरिक्ष यान गगनयान को बनाने में जुटा है। गगनयान एक अंतरिक्ष कैप्सूल है जो तीन लोगों को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम होगा। गगनयान बेहद उन्नत क्षमता से लेस होगा।
भारत के ये पहला अंतरिक्ष यान करीब 3.7 टन वजनी होगा। इस कैप्सूल में तीन अंतरिक्ष यात्री सात दिनों के लिए 400 किमी (250 मील) की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे।
भारतीय अंतरिक्ष अनुशंधन संगठन (इसरो) की गगनयान को भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क 3 (gslv mk iii) पर लॉन्च करने की योजना है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित इस क्रू मॉड्यूल ने 18 दिसंबर 2014 को अपनी पहली मानवरहित प्रायोगिक उड़ान का परिक्षण किया था।
पीएम मोदी ने लाल किले से किया ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए अपने संबोधन में साल 2022 में भारत द्वारा अंतरिक्ष में मानव भेजने की परिकल्पना को साकार करने का ऐलान किया था।
इतिहास के पन्नो में गगनयान
जानकारी के मुताबिक गगनयान का विकास करने की परिकल्पना 2006 मेंकी गई थी। इसी समय इसरो ने अंतरिक्ष में एक सप्ताह गुजरने के लिए एक अंतरिक्ष यान तैयार करने की योजना बनाई थी।
हालांकि तब इसकी कोई समय सीमा तय नहीं की गई थी। शुरुआत में ऐसा गगनयान बनाने की परिकल्पना की गई थी, जो दो यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाकर उन्हें पुनः धरती पर लाने में सक्षम हो।
लाल किले से पीएम मोदी द्वारा 2022 में अंतरिक्ष में भारत द्वारा मानव भेजने की घोषणा के बाद गगनयान तीन यात्रियों के लिए तैयार किए जाने की योजना बनाई गई है।
हाल ही में जीसेट-11 (GSAT11) की लॉन्चिंग के मौके पर इसरो प्रमुख के सिवान ने कहा था कि भारत के अंतरिक्ष यान ‘गगनयान’ को पूरी तरह से स्वदेशी बनाने की कोशिश की जा रही हैं।
रुस करेगा मदद
कुछ दिन पहले भारत-रुस शिखर वार्ता के लिए नई दिल्ली आए रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ में सहयोग करने की इच्छा जताई थी।
गगनयान के लिए रुस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो की मदद करेगी। इसके लिए भारत और रुस के बीच एक समझौता भी हुआ है।
इसरो की दुनिया में धाक
अगर इसरो साल 2022 में ‘गगनयान’ द्वारा अंतरिक्ष में मानव भेजने में सफल हो जाता हैं तो ये भारत की अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO)की एक बड़ी कामयाबी होगी।
इसी के साथ भारत दुनिया के उन चंद देशों की सुची में शामिल हो जाएगा जिन्हें अंतरिक्ष में मानव भेजने में सफलता मिली है। हालांकि इसरो इससे पहले भी अंतरिक्ष में 104 उपग्रहों की सफल लॉन्चिंग के साथ एक विश्व रिकॉर्ड बना चुका है।