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पीएम मोदी ने जताई आपने मन की मंशा, जनवरी से दिसंबर तक हो वित्त वर्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त वर्ष अप्रैल से मार्च के बजाय जनवरी से दिसंबर तक करने की वकालत की है। साथ ही उन्होंने पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर भी जोर दिया। रविवार को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में पीएम ने न्यू इंडिया के निर्माण को सभी राज्यों की सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए इसके लिए 15 साल का रोडमैप भी पेश किया।
पीएम मोदी ने जताई आपने मन की मंशा, जनवरी से दिसंबर तक हो वित्त वर्ष
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश लंबे समय तक राजनीतिक और आर्थिक कुप्रबंधन झेलता रहा है। कुप्रबंधन के कारण ही कई अच्छी पहल और योजनाएं भी नाकाम हो गईं। लेकिन अब व्यवस्था दुरुस्त करने के कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने पर विचार-विमर्श होना चाहिए। उन्होंने बैठक में हिस्सा लेने आए मुख्यमंत्रियों से इस बहस को आगे बढ़ाने को कहा। इसी तरह उन्होंने वित्त वर्ष को जनवरी से दिसंबर तक करने पर भी बहस तेज करने को कहा। इस दौरान पीएम ने बजट पेश करने की तारीख में बदलाव को व्यापक सुधार का हिस्सा बताया।

प्रधानमंत्री मोदी ने न्यू इंडिया के विचार को धरातल पर उतारने के लिए भी मुख्यमंत्रियों का सहयोग मांगा। नीति आयोग संचालन परिषद की तीसरी बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों-मंत्रियों और विशेषज्ञों के रूप में यहां जमा हुई टीम इंडिया ही व्यापक सुधारों-बदलावों के जरिये न्यू इंडिया का निर्माण करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह टीम इंडिया स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ (वर्ष 2022) के भारत की दृष्टि तैयार करे।

प्रधानमंत्री ने बैठक में देश में व्यापक बदलाव के लिए 15 साल का रोडमैप पेश किया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की 15 साल की दृष्टि, 7 साल की रणनीति और तीन साल का कार्रवाई एजेंडा राज्यों को व्यापक लाभ देगा। इस दौरान उन्होंने सुधारों की गति में और बढ़ोतरी करने, बुनियादी ढांचा निर्माण क्षेत्र और पूंजीगत व्यय की रफ्तार बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा कि देश में खराब बुनियादी ढांचे से आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो रही है। राज्यों द्वारा बुनियादी ढांचे मसलन सड़क, बंदरगाह, बिजली और रेल पर अधिक खर्च से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ेगी। राज्य भी देश की नीति निर्धारण की प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगे। इसके तहत महत्वाकांक्षी केंद्रीय योजनाओं पर मुख्यमंत्रियों की राय ली जाएगी।

जीएसटी खूबसूरत उदाहरण

पीएम ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) बिल को मिले सभी राज्यों के समर्थन की चर्चा की और न्यू इंडिया के निर्माण में ऐसे ही सहयोग की अपेक्षा की। उन्होंने जीएसटी जल्दी लागू करने के लिए सभी राज्यों से अपील की। उन्होंने कहा कि जीएसटी बिल पर बनी आम सहमति देश के इतिहास में संघवाद का एक महान उदाहरण है। यह एक राष्ट्र, एक आकांक्षा और एक संकल्प का खूबसूरत उदाहरण है।

पिछली दो बैठकों के फैसलों की हुई समीक्षा
इस बैठक में नीति आयोग संचालन परिषद की पिछली दो बैठकों में लिए गए फैसलों की समीक्षा की गई। 8 फरवरी 2015 में हुई पहली बैठक में केंद्र-राज्य संबंध में मजबूती लाने और महत्वपूर्ण योजनाओं-कार्यक्रमों-नीतियों की निगरानी का फैसला लिया गया था। इसी बैठक में गरीबी दूर करने के लिए योजना तैयार करने, कृषि क्षेत्र में सुधार केलिए मुख्यमंत्रियों के तीन ग्रुप और दो कार्यबलों का गठन का फैसला किया गया था।

नहीं आए केजरीवाल और ममता
इस बैठक में दिल्ली और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों के छोड़ कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। दिल्ली की ओर से उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शिरकत की। उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, तेलांगाना समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बैठक में अपने विचार रखे। केंदीय मंत्रियों में राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, सुरेश प्रभु, प्रकाश जावड़ेकर, स्मृति ईरानी, राव इंद्रजीत सिंह ने हिस्सा लिया।

उपस्थिति पर पीएम ने दिखाई सख्ती
इस बैठक में कई राज्यों की ओर से मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री के बदले मंत्रियों को बतौर प्रतिनिधि भेजने की योजना पर पीएम की सख्ती ने पानी फेर दिया। पीएम मोदी ने स्पष्ट तौर पर प्रतिनिधियों को बैठक में शामिल नहीं होने देने का निर्देश दिया था। यही कारण है कि दो राज्यों को छोड़ कर अन्य सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बैठक में शिरकत की। इस बैठक में कई विशेषज्ञों को भी आमंत्रित किया गया था।
नीति आयोग ने पेश किए 300 विशेष कार्य बिंदु
नीति आयोग ने देश के आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए 300 विशेष कार्य बिंदु पेश किए। गवर्निंग काउंसिल की बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने इन कार्य बिंदुओं को पेश किया। 

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