उत्तराखंड

‘पीएम मोदी परमिशन दें तो नागा साधु पाक को सिखा देंगे सबक’

07_11_2016-07sainthariहरिद्वार, [जेएनएन]: भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव और आए दिन हो रही गोलाबारी के खिलाफ संत एकजुट हैं। जरुरत पड़ी तो संत सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पाक के साथ युद्ध करने को तैयार है। यह प्रस्ताव हरिद्वार के जूना अखाडा के मायादेवी प्रांगण में हुई अखिल भारतीय अखाडा परिषद् की बैठक में पास किया गया।
इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार की ओर से मठ मंदिरों पर लगाये गए सीवर, भवन टैक्स को तीन माह के अंदर वापिस लेने तथा 2019 में प्रयाग में होने वाले अर्द्धकुंभ के दौरान स्थायी कार्य करने का भी प्रस्ताव पारित किया गया।

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माया देवी मंदिर के प्रांगण में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की अध्यक्षता में 2010 के बाद हरिद्वार में अखाडा परिषद् की बैठक हुई। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में तीन प्रस्ताव पारित किए गए।
जिनमें उत्तराखंड सरकार की ओर से अखाड़ों पर लगाए गए सभी प्रकार के टैक्स को तीन माह में समाप्त करने, 2019 में होने वाले अर्द्धकुम्भ के लिए उत्तर प्रदेश के प्रयाग में और उत्तराखंड में मध्य प्रदेश के समान ही अखाड़ों के लिए स्थायी निर्माण करवाये जाने और देश की सुरक्षा के लिए अगर सेना को जरुरत पड़ी तो नागा सन्यासियों के युद्ध के लिए तैयार रहने संबंधी प्रस्ताव पारित किए गए है।
पाकिस्तान के बीच चल रही तल्खियों को लेकर संत समाज ने एकजुटता दिखाते हुए सेना के साथ पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए युद्ध में शामिल होने के लिए प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजा।
बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कहा कि अगर पाक पर कार्रवाई करने के लिए सरकार को संतों की और नागा फौज की जरूरत पड़ती है, तो नागा साधु तैयार हैं।

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कहा कि संतों को शास्त्र के साथ-साथ शस्त्र का भी पूरा ज्ञान करवाया जाता है। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परमिशन दें तो नागा साधु पाक को सबक सिखाने के लिए तैयार है।
जूना निरंजनी सहित कई अखाड़ों के पास बड़ी नागा सन्यासियों की फौज है। कहा कि साधुओं ने मुगलों से टक्कर ली थी, वैसे ही वे पाक से भी लड़ने को तैयार हैं और एक बार नागा आगे बढ़े तो फिर वे पीछे नहीं हटेंगे। कहा कि राज्य सरकार ने धार्मिक आश्रम और तमाम मठों पर कर बढ़ा दिया है।
राज्य सरकार से मांग है कि इसे माफ़ किया जाये। अगर राज्य सरकार तीन माह में टैक्स माफ़ नहीं करती तो राज्य सरकार का कड़ा विरोध किया जायेगा। उन्होंने इसके साथ ही कुंभ व अर्द्धकुंभ में सरकारों की ओर से अखाड़ों के लिए स्थायी कार्य कराएं जाएं। बैठक में सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

 

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