कहते है किसी भी देव या देवी को मंत्र द्वारा साधना करके उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। पुराने जमाने में ऋषि मुनि मंत्र तपस्या करके देवी देवताओं को खुश करते थे। आप रोजाना पूजा-पाठ, आरती करते हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है कि किसी भी पूजा करने से पहले स्वस्ति वाचन करने से देवी-देवताओं को जाग्रत किया जाता है। कहते हैं स्वस्ति मंत्र शुभ और शांति के लिए किया जाता है।
स्वस्ति मतलब सु अस्ति जिसका अर्थ है कल्याण हो। मान्यता है कि स्वस्ति मंत्र का उच्चारण करने से हृदय और मन मिल जाते हैं। मंत्र का उच्चारण करते हुए दूर्वा घास से जल के छींटे डाले जाते थे। यह माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। जगत का कल्याण, परिवार के कल्याण के लिए और खुद के कल्याण के लिए शुभ वचन कहना ही स्वस्तिवाचन है। इस मंत्र के साथ प्रार्थना आरंभ करनी चाहिए।
मंत्र
ऊं शांति सुशान्ति: सर्वारिष्ट शान्ति भवतु। ऊं लक्ष्मीनारायणाभ्यां नम:। ऊं उमामहेश्वराभ्यां नम:। वाणी हिरण्यगर्भाभ्यां नम:। ऊं शचीपुरन्दराभ्यां नम:। ऊं मातापितृ चरण कमलभ्यो नम:। ऊं इष्टदेवाताभ्यो नम:। ऊं कुलदेवताभ्यो नम:।ऊं ग्रामदेवताभ्यो नम:। ऊं स्थान देवताभ्यो नम:। ऊं वास्तुदेवताभ्यो नम:। ऊं सर्वे देवेभ्यो नम:। ऊं सर्वेभ्यो ब्राह्मणोभ्यो नम:। ऊं सिद्धि बुद्धि सहिताय श्रीमन्यहा गणाधिपतये नम:।ऊं स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।स्वस्ति नो ब्रिहस्पतिर्दधातु ॥ ऊं शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥