नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दीक्षांत समारोह में 7 जून को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शामिल हुए थे। ये कार्यक्रम नागपुर में हुआ था। ‘संघ’ ने दावा किया कि प्रणब मुखर्जी को न्योता देने और उनके कार्यक्रम में शामिल होने के बाद से ही आरएसएस में शामिल होने के लिए आवेदनों की संख्या तीन गुना तक बढ़ गई है। इनमें से 40 फीसदी आवेदन तो सिर्फ प्रणब के गृह राज्य पश्चिम बंगाल से ही आए हैं। आरएसएस के वरिष्ठ नेता बिप्लब रॉय ने बताया, ‘1 से 6 जून तक आरएसएस ज्वाइन करने के लिए रोजाना औसतन 378 आवेदन आए। 7 जून को प्रणब के भाषण के दिन 1,779 आवेदन आए। इसके बाद रोज 1200-1300 आवेदन आ रहे हैं।’ रॉय ने बताया कि इनमें से 40 फीसदी आवेदन पश्चिम बंगाल से होते हैं।क्या प्रणब के आने से संघ की लोकप्रियता बढ़ी है? इसके जवाब में बिप्लब रॉय ने कहा, यह आकलन निकाला जाना गलत है। अपनी गतिविधियों की वजह से संघ पहले ही लोकप्रिय है। प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय में बतौर अतिथि जाने को लेकर काफी राजनीतिक गहमागहमी रही थी। प्रणब मुखर्जी ने संघ के मंच से राष्ट्रीयता, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर अपनी बात रखी थी। करीब 30 मिनट के भाषण के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, लोकमान्य तिलक, सुरेंद्र नाथ बनर्जी और सरदार पटेल का जिक्र किया था। लेकिन संघ के किसी नेता का नाम नहीं लिया था और न संघ के बारे में कोई बात कही थी।बेटी और कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा था आरएसएस भी नहीं मानता कि आप भाषण में उसकी सोच का बखान करेंगे, लेकिन बातें भुला दी जाएंगी। रहेंगे तो सिर्फ फोटो, जो फर्जी बयानों के साथ प्रसारित किए जाएंगे। नागपुर जाकर आप भाजपा-आरएसएस को फर्जी खबरें प्लांट करने, अफवाहें फैलाने का पूरा मौका दे रहे हैं। वहीं कई कांगे्रसी नेताओं ने प्रणब से संघ के कार्यक्रम में न जाने की सिफारिश की थी।