पैसे की व्यथा जानें उसी की जुबां से
मैं हूँ पैसा- मेरा साधारण रूप है, दुर्बल सी काया है, लेकिन मै दुनियाँ को पूनर्व्यवस्थित करने की क्षमता रखता हूँ. मैं इन्सान का व्यवहार और प्रकृति बदलने की क्षमता रखता हूँ क्योंकि इन्सान मुझे आदर्श मानता हैं. कई लोग अपने व्यवहार को बदल देते है,अपने दोस्तों को धोखा देते है, अपना शरीर बेच देते है यहाँ तक की अपना धर्म छोड़ देते है, सिर्फ मेरे लिए ! मैं नेक भ्रष्ट मे फर्क नही करता, लोग मुझे प्रतिष्ठा के मानक के तौर पर इस्तेमाल करते है कि आदमी अमीर है या गरीब, इज्जतदार है या नही. मै शैतान नहीं हूँ, लेकीन लोग अक्सर मेरी वजह से गुनाह करते है. मैं तीसरा व्यक्ति नहीं हूँ, लेकिन मेरी वजह से पति पत्नी आपस मे झगड़ते है.
ये सही है की मैं भगवान नहीं हूँ लेकिन लोग मुझे भगवान की तरह पूजते है यहाँ तक की भगवान को पूजने वाले भी मेरी भक्ति करते है भले ही वो आपको इससे दूर रहने की सलाह देते हैं. वैसे तो मुझे लोगों की सेवा करनी चाहिये लेकीन लोग मेरे गुलाम बनना चाहते हैं. मैने कभी किसी के लिए बलिदान नहीं दिया लेकिन कई लोग मेरे लिए अपनी जान दे रहे हैं. लेकिन मै याद भी दिलाना चाहता हूँ कि मैं आपके लिए सब कुछ खरीद सकता हूँ,आपके लिए दवाईयाँ ला सकता हूँ पर हाँ आपकी उम्र नहीं बढा सकता.
एक दिन जब उस भगवान का बुलावा आयेगा तो मै आपके साथ नहीं जाऊँगा बल्कि आपको अपने पाप भुगतने के लिए अकेला छोड दूँगा.और यह स्थिती कभी भी आ सकती है आपको अपने बनाने वाले को खुद ही जवाब देना पडेगा और उसका निर्णय भी आपको स्वीकारना होगा. उस समय सर्व शक्तिमान आपका फैसला करेगा और मेरे बारे मे पूछेगा, लेकीन मै आपसे अभी पूछता हूँ क्या आपने जीवनभर मेरा सही इस्तेमाल किया या आपने मुझे ही भगवान बना दिया ? एक अंतिम जानकारी मेरी तरफ से मैं उपरआपके साथ नहीं जाऊँगा बल्कि आपकी सत्कर्मों की पूंजी ही आपके साथ चलेगी. मुझे वहाँ मत ढूँढ़ना मैं पैसा हूँ.