प्रदेश में प्राइमरी का पाठ्यक्रम उबाऊ, किताबों का कागज घटिया
रायपुर, निप्र। छत्तीसगढ़ में प्राइमरी कक्षाओं का पाठ्यक्रम बोझिल और उबाऊ है तो किताबें बनाने में इस्तेमाल कागज और बाइंडिंग घटिया। इतना ही नहीं चौथी- पांचवीं में तो अविभाजित मध्यप्रदेश (वर्ष 2000 से पहले) के जमाने की कुछ किताबें बिना तब्दीली आज भी चल रही हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के भोपाल स्थित क्षेत्रीय संस्थान की 2016 की समीक्षा रपट से इन गड़बड़ियों का खुलासा हो रहा है।
केस-1 : पहली-दूसरी की किताबों में कठिन शब्द
कक्षा दूसरी की हिन्दी किताब के पाठ एक की मेरा देश कविता अपेक्षाकृत कठिन है। इसमें ‘सलोना’, ‘ सोंधी’ जैसे शब्द हैं। इसी तरह पाठ ग्यारह मड़ई मेला में ‘ परघाकर’ शब्द पढ़ाया जा रहा है, जिसका मतलब स्वागत करना है। इसी तरह कक्षा दूसरी- तीसरी की पुस्तक में ‘बहेलिया’ , ‘ नीलोत्पला’ ‘ सर्वशक्तिमान’ जैसे शब्द हैं।
केस-2 : कक्षा चौथीं में दसवीं के स्तर का पाठ
रपट में समीक्षकों ने कक्षा चौथीं में डॉ. जगदीश चंद्र बोस पाठ की लंबाई बहुत ज्यादा बताई है। कहा है कि दसवीं के बौद्धिक स्तर की ऐतिहासिक बातें हैं। खासकर भारत-पाकिस्तान अलग होने, बांग्लादेश, फ्रांस और पेरिस का इतिहास है।
ये भी विसंगति
-किताबों की अधिक मोटाई के कारण बाइंडिंग असुरक्षित हैं, पन्ने कभी भी फट सकते हैं
-लैंगिक समानता और समाज के सभी वर्गों को स्थान नहीं दिया गया है
-किताबों में समझाने के लिए दिए गए चित्र और अधिक स्पष्ट होने चाहिए
-कक्षा तीसरी की हिन्दी में कई चित्रों का रंग संयोजन ठीक नहीं है
-किताबों में अभी कहीं- कहीं टंकण त्रुटियां भी हैं।
अन्य कक्षाओं में भी समस्याएं
कक्षा नौवीं: 2014 में लिखी गई कक्षा नौवीं की किताबों में गलतियों की भरमार है। इनमें कई आपत्तिजनक शब्द भी थे, जिन्हें बाद में हटाया गया।
कक्षा दसवीं: दसवीं की पुस्तकों में महिलाओं को काम मिलने के कारण बेरोजगारी बढ़ने की विवादित टिप्पणी पर खूब हंगामा हुआ।
कक्षा 11वीं-12वीं: हायर सेकंडरी की पुस्तकों को दो साल पहले ही बदल जाना था। कई बार केंद्र सरकार ने पाठ्यक्रम बदलने कहा, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
छत्तीसगढ़ की प्राइमरी स्तर की किताबों की समीक्षा कर टिप्पणी की गई है। इसके अनुसार बदलाव करना चाहिए। – डॉ. एनसी ओझा,कार्यक्रम समन्वयक, क्षेत्रीय संस्थान, भोपाल
किताबों के लेखन के बाद उनकी कमियां दूर करने की प्रक्रिया चलती है। क्या समीक्षा हुई है, उसके हिसाब से सुधार करेंगे। – विकास शील, सचिव, स्कूल शिक्षा
बच्चों के हिसाब से शब्दावली होनी चाहिए। पाठ उबाऊ होंगे तो निश्चित रूप से पढ़ने में अस्र्चि होगी। हालांकि किताब लेखन की प्रक्रिया लगातार चलती है। – दानीराम वर्मा, शिक्षाविद