अन्तर्राष्ट्रीय

प्रवासी बच्ची की सीमा पर कस्टडी के दौरान मौत

अमेरिकी सीमा पर कस्टडी के दौरान सात साल की प्रवासी बच्ची की मौत की जांच अब अमेरिका द्वारा की जाएगी। गुटेमाला की रहने वाली जैकलीन काल मैक्यूइन को बीते हफ्ते अमेरिका-मैक्सिको सीमा को पार करने के बाद ही हिरासत में लिया गया था। उसके साथ उसके पिता भी थे। इस बात की जानकारी अधिकारियों ने दी है।

प्रवासी बच्ची की सीमा पर कस्टडी के दौरान मौत

इससे पहले कहा गया था कि बच्ची की मौत की वजह डिहाईड्रेशन थी। वहीं सीमा पर तैनात अधिकारियों का कहना है कि प्रवासियों तक खाना और पानी पहुंचाया जा रहा था। सरकार का निगरानीकर्ता मामले पर फाइनल रिपोर्ट आने से पहले जांच करेगा।
सेंट्रल अमेरिका से अमेरिकी सीमा तक आने वाले प्रवासियों की सुरक्षा इस घटना के बाद से काफी हद तक संदेह के घेरे में आ गई है। इन प्रवासियों का कहना है कि इन्हें अपने देशों में उत्पीड़न, गरीबी और हिंसा का सामना करना पड़ता है। वहीं कई का तो ये भी कहना है कि वह गैरकानूनी तरीके से जाने की बजाय अमेरिका में सैटल होना चाहते हैं।

क्या है अमेरिकी अधिकारियों का कहना
घटना पर अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि लड़की को 6 दिसंबर की शाम अपने पिता के साथ अवैध रूप से सीमा पार करते वक्त पकड़ा गया था। तब उसकी जांच की गई थी और उसे स्वास्थ्य संबंधित कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने कहा कि उसे सीमा पेट्रोल स्टेशन पर उसके पिता के साथ बस से ले जाने से पहले जहां रखा गया, वहां खाना, पानी और शौचालय की सुविधा था।

अधिकारियों ने कहा, लेकिन जब लड़की को बस में बिठाया गया तो उसने उलटी करना शुरू कर दिया और बाद में सांस लेना भी बंद कर दिया। जब बस सीमा पेट्रोल स्टेशन पर पहुंची तो उसे आपातकालीन मेडिकल सेवा उपलब्ध कराई गई। उन्होंने कहा कि लड़की की मौत की वजह कार्डिक अरेस्ट है। लड़की को पहले से दिमाग में सूजन की समस्या थी और उसका लीवर भी फेल था।

घटना के बाद से अमेरिका की विपक्षी पार्टियों ने अधिकारियों के इस्तीफे की मांग की है। वहीं पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने इस घटना को सीमा पर होने वाला ‘मानवीय संकट’ कहा है।
मैक्सिको सीमा को पार कर अमेरिकी सीमा में दाखिल होने वाले लोगों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। ये लोग बड़े समूह में आ रहे हैं, जिनमें पूरे के पूरे परिवार हैं और कई छोटे बच्चे भी शामिल हैं। बीते महीने अमेरिका के सीमा एजेंटों ने इन प्रवासियों के समूहों पर आंसू गैस के गोले छोड़े थे। जिनमें बच्चे भी शामिल थे। वहीं प्रवासियों ने अधिकारियों पर पत्थरों से हमले किए।

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