प्रियंका गांधी राजनीति में सफल रहीं तो सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे राबर्ट वाड्रा
‘प्रियंका की राजनीति में औपचारिक एंट्री पर उनके पति रॉबर्ट वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा, बधाई हो पी… मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं’
नई दिल्ली : प्रियंका गांधी का राजनीति में आना, कांगे्रसी स्वयं के लिए संजीवनी मान रहे हैं। इसके अलावा कयास भी लगाये जा रहे हैं कि कांगे्रस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन यदि राजनीति में सफल रहती हैं तो सबसे ज्यादा लाभ राबर्ट वाड्रा को मिलेगा, जिन पर कई गम्भीर आरोप हैं। प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान दी गई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की दस सीटें आती हैं। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री को कांग्रेस के ट्रंप कार्ड के रूप में देखा जा रहा है। आखिरकार कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा के रूप में अपना ट्रंप कार्ड चल ही दिया। प्रियंका को कांग्रेस का महासचिव बनाने के साथ−साथ उत्तर प्रदेश कांग्रेस का पूर्वांचल प्रभारी बनाकर आलाकमान ने यह संकेत दे दिए हैं कि यूपी उसके लिये कितना महत्वपूर्ण है। प्रियंका के खुलकर राजनीति में आने से कार्यकर्ताओं का तो जोश बढ़ेगा ही, इसके अलावा कांग्रेस के इस दांव से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों के लिये मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। प्रियंका के सहारे कांग्रेस, सपा−बसपा गठबंधन के अलावा भाजपा के वोट बैंक में भी सेंधमारी कर सकती है। खासकर युवा वोटर बड़ी संख्या में कांग्रेस के प्रति आकर्षित हो सकते हैं। प्रियंका को यूपी का प्रभारी बनाए जाने के साथ संभावनाएं इस बात की भी बनने लगी हैं कि वह रायबरेली या इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट में से किसी पर चुनाव लड़ सकती हैं। अगर सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ीं तो प्रियंका के रायबेरली से चुनाव लड़ने की संभावना अधिक है। फिलहाल कांग्रेस ने इस संबंध में कुछ नहीं कहा है। कांग्रेस ने अपना तुरूप का पत्ता चल दिया है। सभी अस्सी सीटों पर कांग्रेस के चुनाव लड़े जाने की बात भी कही जा रही है। अब विपक्ष का रवैया देखना है कि वह प्रियंका की इमेज को कैसे जनता के बीच में पेश करता है। प्रियंका की सबसे कमजोर कड़ी उनके पति रॉबर्ट वाड्रा हैं, जो कई आरोपों के चलते अदालतों से लेकर ईडी तक के रडार पर हैं। बीकानेर जमीन घोटाले की जांच में रॉबर्ट वाड्रा को राजस्थान हाईकोर्ट ने ईडी के सामने पेश होने का आदेश दिया है। 12 फरवरी को रॉबर्ट वाड्रा और उनकी मां समेत स्काईलाइट हॉस्पीटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के सभी साझीदारों को ईडी में पूछताछ के लिए हाजिर होना पड़ेगा। ईडी का दावा है कि बीकानेर जमीन घोटाले में राबर्ट वाड्रा के खिलाफ पुख्ता सबूत है और वह इस मामले में अशोक कुमार और जय प्रकाश बगरवा नाम के दो आरोपी को गिरफ्तार भी कर चुकी है। इन दोनों को महेश नागर का करीबी माना जाता है, जो बीकानेर में स्काईलाइट हॉस्पीटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड का अधिकृत प्रतिनिधि था। इस पूरे मामले में एलीजनी फिनलीज नाम की कंपनी का नाम सामने आया है। ईडी का कहना है कि यह रॉबर्ट वाड्रा की मुखौटा कंपनी है। ईडी काफी समय से रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के कारण पूछताछ संभव नहीं हो पा रही थी। ईडी ने पिछले महीने रॉबर्ट वाड्रा के आफिस पर छापा भी मारा था।
रॉबर्ट वाड्रा के बहाने बीजेपी अकसर गांधी परिवार को घेरती भी रही है। प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान दी गई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की दस सीटें आती हैं। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री को कांग्रेस के ट्रंप कार्ड के रूप में देखा जा रहा है। प्रियंका के अलावा मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है। केसी वेणुगोपाल को संगठन में कांग्रेस महासचिव बनाया गया है। प्रियंका गांधी फरवरी माह के पहले हफ्ते में अपना कार्यभार संभालेंगीं। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी प्रियंका पार्टी की रणनीति तय करने और उम्मीदवारों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं। हालांकि यह पहली बार है जब पार्टी में उन्हें औपचारिक पद दिया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा ने कहा, ‘राहुल गांधी जो भी कहते हैं वह करके दिखाते हैं। प्रियंका गांधी की नियुक्ति इस बात का संकेत है कि कांग्रेस का भविष्य उज्ज्वल है।’ राजनीति में प्रियंका की औपचारिक एंट्री पर उनके पति रॉबर्ट वाड्रा ने फेसबुक पर लिखा, बधाई हो पी… मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। कांग्रेस ने प्रियंका के चेहरे को यूपी में आगे जरूर कर दिया है, लेकिन यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि उनके सामने मोदी और माया जैसे धुरंधर होंगे, जो विरोधियों की हर चाल की काट जानते हैं, जिन्हें ‘बाल की खाल’ निकालने में महारत हासिल है। बात 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो उस समय प्रियंका लोकसभा का चुनाव तो नहीं लड़ी थीं, लेकिन माँ सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र में जरूर उन्होंने कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार किया था। चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका की सियासत पर मजबूत पकड़ होने की छाप स्पष्ट दिखाई दी तो कुछ लोगों को प्रियंका में इंदिरा की छवि नजर आई, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान तब के बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी को लेकर प्रियंका के एक विवादित बयान की वजह से कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।