फिर से बनेगा नेपाल ‘हिंदू राष्ट्र’
काठमांडू, नेपाल की राजनीतिक पार्टियों ने नए संविधान से ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने पर सहमति बना ली है। राजनीतिक पार्टियों ने नए संविधान पर लाखों लोगों की प्रतिक्रिया लेने के बाद पर यू-टर्न लेते हुए धर्मनिरपेक्ष शब्द हाटने का फैसला किया। संविधान सभा के मुताबिक, अधिकांश लोग धर्मनिरपेक्ष की जगह ‘हिंदू’ तथा ‘धार्मिक आजादी’ शब्द संविधान में शामिल कराना चाहते हैं।यूसीपीएन-माओवादी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहाल उर्फ प्रचंड ने भी सोमवार को मीडिया से कहा कि धर्मनिरपेक्ष शब्द इसमें फिट नहीं बैठता। इसलिए हम इसकी जगह दूसरा शब्द जोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, इस शब्द ने लोगों को परेशान किया है। इसने लाखों लोगों की भावना को आहत किया है। हमें लोगों के फैसले का आदर करना चाहिए। वहीं, नेपाली कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सस्टि लेनिनिस्ट और मधेशी पार्टियों ने भी संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने पर सहमति जताई है। पार्टियों के मुताबिक नेपाल में जल्द नए संविधान की घोषणा की जाएगी।गौरतलब है कि नेपाल के यूनीफाइड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी (यूसीपीएन-एम)ने राजशाही के खिलाफ दशकों लंबे चले हिंसक संघर्ष के बाद राजनीति की मुख्य धारा से जुड़ी थी। उसके दवाब में 2007 में देश को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया था। इस फैसले ने नेपाल के सदियों पुराने हिंदू साम्राज्य होने की पहचान को समाप्त कर दिया था। नेपाल में 80 फीसदी जनसंख्या हिंदू है।नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर पूरे देश में अभियान चल रहा था। इसकी अगुवाई राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल के नेतृत्व में कमल थापा कर रहे थे। हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर कई स्थानों पर उग्र प्रदर्शन भी हो रहे थे। प्रमुख अखबार कांतिपुर के ऑनलाइन संपादकीय के मुताबिक सीपीएन-यूएमएल और नेपाली कांग्रेस ने हमेशा से देश को धर्मनिरपेक्ष घोषित करने का विरोध किया है। इसलिए ये दल भी परोक्ष रूप से प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर रहे हैं।