फिल्म के लिए मिले थे ढाई सौ रुपये, खुशी से पागल हो गया था ये एक्टर, बना बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार
भागलपुर शहर के आदमपुर मोहल्ले में 13 अक्टूबर, 1911 को पैदा हुए अशोक कुमार उर्फ दादामुनि सभी भाई-बहनों में बड़े थे। उनके पिता कुंजलाल गांगुली मध्य प्रदेश के खंडवा में वकील थे। लगभग छह दशक तक अपने किरदारों से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले अशोक कुमार का आज जन्मदिन है। एक नजर उनकी जिंदगी से जुड़े दिलचस्प किस्सों पर…
अशोक कुमार जब पहली बार फिल्मी दुनिया में आए, तब उनकी महीने की तनख्वाह पछत्तर रुपये थी। उन दिनों की याद करते हुए अशोक ने एक बार अपने परम मित्र सआदत हसन मंटो को बताया था- ‘बाई गॉड, तनख्वाह में इस बढ़ोतरी से मेरी हालत सच में अजीबो-गरीब हो गई थी। ढाई सौ रुपये! दफ्तर के खजांची से जब पहली बार मैंने इतनी रकम ली, तो मेरे हाथ अचानक कांपने लगे थे। समझ में नहीं आता था कि इतने सारे रुपये मैं आखिर रखूंगा कहां?’
अशोक कुमार ने एक बार कहा था, ‘उन दिनों कॉल गर्ल हीरोइनें बनती थीं और दलाल हीरो। बतौर एक्टर अपनी पहली ही फिल्म ‘जीवन नैया’ (1936) में अशोक कुमार ने खुद एक गाना गाया था। 1943 में फिल्म किस्मत में अशोक कुमार एंटी-हीरो की भूमिका में नजर आए। इस फिल्म से वो रातों-रात हिट होकर हिंदी सिनेमा के पहले सुपर स्टार बने।
कहा जाता है जब अशोक हीरो बने तो उनके घर खंडवा में हड़कंप मच गया और उनकी तय शादी टूट गई। उसके बाद उनकी मां रोने लगीं और उनके पिता नागपुर गए। पिता अशोक से मिले और एक्टिंग छोड़ने को कहा लेकिन उस समय हिमांशु राय ने अकेले में उनके पिता से बात की। उसके थोड़ी देर बाद उनके पिता उनके पास आए और नौकरी के कागज़ फाड़ दिए और उन्होंने अशोक से कहा, ‘वो (हिमांशु राय) कहते हैं कि अगर तुम यही काम करोगे तो बहुत ऊंचे मुकाम तक पहुंचोगे. तो मुझे लगता है तुम्हें यहीं रुकना चाहिए।’
साल 1988 में अशोक कुमार को फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 1999 में सिनेमा में उनके योगदान के लिए सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया। अशोक ने ‘किस्मत’ , आंखों में तुम हो, भारत एक खोज, वो दिन आयेगा, प्यार की जीत, मिस्टर इण्डिया, जवाब हम देंगे जैसी हिट फिल्मों में काम किया। 10 दिसंबर 2001 में वो दुनिया को अलविदा कह गए।