फूड बिल पर GST का असर, पैसे देने से पहले समझें रेस्तरां का टैक्स
देश में एक जुलाई से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू होने के बाद किसी भी उत्पाद अथवा सर्विस का बिल अहम सुर्खियों में है. इसी बिल के चलते जीएसटी का पूरा मामला उपभोक्ता से भी जुड़ता है. आमतौर पर उपभोक्ता किसी होटल या रेस्तरां में खाने-पीने के लिए जाता है तो बिल को ध्यान से नहीं देखता. लेकिन GST लागू होने के बाद भी आप यदि ऐसा नहीं करते तो संभव है कि इस क्षेत्र में नए टैक्स ढ़ांचे के आड़ में आपसे ज्यादा पैसा वसूला जा रहा है.
जीएसटी व्यवस्था के तहत बिना एयर कंडीशन रेस्तरां पर 12 फीसदी कर लगेगा. वहीं एसी रेस्तरां तथा शराब परोसने वाले पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा. रेस्तरां में दी जाने वाली हर चीज बिल का हिस्सा होगा और उस पर जीएसटी लगेगा. इसमें शराब शामिल नहीं है जिसपर फिलहाल मूल्य वर्धित कर (वैट) लगेगा.
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि जीएसटी खाने के पूरे बिल पर लगाया जाएगा. इसमें रेस्तरां में सेवा शुल्क शामिल है. वहीं अल्कोहल या अल्कोहल उत्पाद के मूल्य में वैट लगेगा. पहले बिल में सेवा कर लगता था. लेकिन होटल या रेस्तरां परिचालकों द्वारा इस्तेमाल में लाये गये कच्चे माल पर कर के भुगतान को अंतिम बिल के कर में नहीं घटाया जाता था. इसे इनपुट टैक्स क्रेडिट कहा जाता है.
लेकिन अब यह सुविधा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में उपलब्ध है. अधिया ने जीएसटी मास्टर क्लास में कहा, अधिकतर रेस्तराओं को आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा उपलब्ध होने के कारण अपनी व्यंजन सूची में खाने के सामान के दाम में कमी लानी चाहिए.
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि रेस्तरां, होटल और भोजनालय को अपनी व्यंजन सूची में खाने के सामान के दाम घटाने चाहिए ताकि जीएसटी के तहत कच्चे माल पर दिये गये कर की वापसी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ प्रतिबिंबित हो.