नई दिल्ली भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी सेना में भर्ती होना चाहते थे लेकिन किस्मत ने उन्हें क्रिकेटर बना दिया। रांची में पराशूट रेजिमेंट के साथ 1 दिन बताने वाले धोनी ने कहा कि बचपन से मैं सेना में भर्ती होना चाहता था। सैनिकों को देखकर मुझे भी लगता था कि मैं फौजी बनूं। टी-20 और 50 ओवरों के विश्वकप में भारत को खिताब दिलाने वाले धोनी ने कहा कि यूनिफॉर्म से उन्हें ऊंचाई से डर पर काबू पाने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि यह वर्दी खास है। इसके चलते ही मुझे ऊंचाई से डर नहीं लगा।
धोनी ने सैनिकों के साथ हल्के-फुल्के क्षण बिताये। सैनिकों ने उनसे पूछा कि इतना तनावपूर्ण काम करने के बावजूद वह कूल वैसे रहते हैं तो उनका जवाब था कि किसी भी प्रेस कांनप्रेस से 1 दिन पहले मैं जाकर में बैठ जाता हूं और इसीलिये इतना कूल रहता हूं। धोनी ने सैनिकों के परिवारों से मुलाकात की और उनके बच्चों के साथ तस्वीरें खिचवाई, उन्हें ऑटोग्राफ भी दिये।