”पिकप भवन में लगी आग में कई अहम फाइलें खाक होने की आशंका है। जहां पर आग लगी, वहां फाइनेंस और वित्त विभाग, जैव विविधता विभाग बोर्ड पूर्वी, एड्स कंट्रोल बोर्ड और इनकम टैक्स विभाग के कार्यालय हैं। माना जा रहा है कि इनमें फाइनेंस और वित्त विभाग का कार्यालय साजिशकर्ताओं के निशाने पर था। बताया जा रहा है कि कई मामलों में घोटालों की आशंका जताई गई थी, जिसको लेकर कई अफसर परेशान थे।”
लखनऊ : प्रदेशीय इंडस्टि्यल एंव इंवेस्टमेंट कारपोरेशन आफ यूपी लिमिटेड में बीते तीन जुलाई की शाम हुआ अग्निकांड मामले की जांच करने रविवार को गुजरात की फॉरेंसिक टीम राजधानी पहुंची। टीम हाथ में एक डायरी लेकर आईजी एसके भगत और एसएसपी कलानिधि नैथानी के साथ पिकप भवन पहुंचे। बताया जा रहा है कि साजिश के तहत लगी इस आग की जांच बंद कमरे में की जा रही है। भवन के सभी सुरक्षा कर्मियों को बुलाकर पूछताछ की जा रही है। बीती शनिवार को शासन को सौंपी गई जांच कमेटी की रिपोर्ट में घटना की विवेचना कराने की सिफारिश को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेहद गंभीरता से लिया। योगी के निर्देश पर गोमतीनगर थाने में अग्निकांड की एफआईआर दर्ज करा दी गई है। अब पुलिस की पड़ताल में साजिश रचने वालों के चेहरे बेनकाब होंगे। पिकप की उप सामान्य प्रबंधक मानव संसाधन विकास/विधि पद पर तैनात ऋचा भार्गव की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ वरिष्ठ प्रबंधक एनके सिंह के कार्यालय में फाइल एकत्र कर आग लगाने का मुकदमा दर्ज किया गया है। आग पिकप के ए-ब्लाक के दूसरे तल पर स्थित एनके सिंह के कक्ष व तीसरे तल स्थित कमरे में लगी थी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने एडीजी इंटेलीजेंस एसबी शिरडकर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर 48 घंटे में रिपोर्ट तलब की थी। जांच कमेटी ने पड़ताल में पाया कि एक व्यक्ति ने सुनियोजित तरीके से एनके सिंह के कमरे में फाइलें एकत्र कर आग लगाने का प्रयास किया, जिससे सरकारी संपति व महत्वपूर्ण दस्तावेजों को क्षति पहुंची। कर्मचारी व गार्ड ने आग लगने की सूचना देर से दमकल विभाग को दी। साथ ही अधिकारियों को सूचना देने के बाद उनके आने का इंतजार करते रहे। हालांकि उनका दावा है कि वह पहले आग पर काबू करने की कोशिश करते रहे। जांच के दौरान यह भी सामने आया था कि बेसमेंट स्थित स्टोर में भी पिकप के अहम दस्तावेज रखे थे, जो कि सुरक्षित हैं। ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि कर्ज वसूली से जुड़े दस्तावेजों को सुरक्षित क्यों नहीं रखा गया था। कर्मचारियों से पूछताछ में जांच कमेटी को साजिश की आशंका हुई थी। पिकप भवन में हुए अग्निकांड में उद्योगों की कर्ज वसूली समेत कई अहम दस्तावेज खाक हुए हैं। बताया गया कि पिकप के ए-ब्लॉक के दूसरे व तीसरे तल पर स्थित कमरों में पुरानी रिकवरी व उद्योगों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि से जुड़ी फाइलें रखी थीं। अब पिकप के अधिकारी इस बात का पता लगा रहे हैं कि फाइलें किन-किन उद्योगों से संबंधित थीं। पिकप के रिकवरी से जुड़े जो दस्तावेज खाक हुए हैं, वे 15 से 20 साल पुराने बताए जा रहे हैं। तहरीर में कहा गया कि घटना वाले दिन पिकप भवन में मौजूद उप प्रबंधक (कंप्यूटर) नरेंद्र कुरील और उप प्रबंधक (वित्त) मनोज कुमार गुप्त के स्वागत कक्ष में मौजूद लायन सिक्योरिटी के तैनात गार्ड कृष्ण कुमार को बुलाया और आग लगने की सूचना दी। इसी बीच कंपनी के तैनात फायर मैन गार्ड दयाशंकर व कमलेश भी पहुंच गए।