बगदाद से मोसुल तक, ‘आजतक’ ने पहले ही बताया था 39 भारतीयों पर सच
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इराक के मोसुल से लापता हुए 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि कर दी. उन्होंने कहा कि 4 साल पहले अगवा हुए 39 भारतीय के शवों की शिनाख्त इराक में डीएनए के आधार पर की गई है. देश के नंबर वन चैनल आजतक की टीम खुद भारतीयों की तलाश में मोसुल पहुंची थी. वहां अपनी जांच पड़ताल और तफ्तीश के बाद आजतक ने पहले ही मोसुल में लापता हुए 39 भारतीयों का सच बता दिया था.
दरअसल, आज तक की टीम ने जब मोसुल की जमीन पर पांव रखा तो पाया कि पूरे साढे तीन साल बाद मोसुल से बगदादी के आतंक का अंत तो हुआ, लेकिन पीछे छोड़ गया बर्बादी के गहरे निशान. मोसुल की ज़मीनी हकीकत और तस्वीरें आजतक की टीम के सामने थीं. मगर सबसे अहम सवाल का जवाब अभी भी हमारी टीम को नहीं मिला था कि आखिर 39 भारतीय मोसुल में कहां लापता हो गए. हमारी टीम उनका सुराग ढूंढना चाहती थी.
लेकिन ये काम इतना आसान नहीं था. क्योंकि यहां के ज्यादातर लोगों को उन लापता भारतीयों के बारे में कुछ पता ही नहीं था. इराकी सेना और इंटेलिजेंस के पास भी उन हिंदुस्तानियों के कोई पुख्ता सबूत या फिर जानकारी नहीं थी. पर फिर भी हमारी टीम को कोशिश करनी थी. हमारी टीम 39 लापता भारतीयों की तलाश में जुट गई.
दरअसल, लापता भारतीयों को आखिरी बार मोसुल के बदूश इलाके में देखा गया था. पर किस जगह किसी को नहीं पता. इसी लिए उनकी तलाश में खुद विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह भी वहां पहुंचे थे. उन्होंने बाकायदा एक रात मोसुल में गुजारी थी.
अब ले-देकर आखिरी उम्मीद डीएनए रिपोर्ट पर ही थी. भारत सरकार ने 39 भारतीयों का डीएनए सैंपल इराकी अधिकारियों को सौंप दिया था. इसके बाद विदेश राज्य मंत्री वापस भारत लौट आए. उनके लौटने के कुछ वक्त बाद इराकी अधिकारियों को बदूश के स्थानीय लोगों से पता चला कि बदूश के करीब एक पहाड़ी पर आईएस के आतंकवादियों ने बहुत से लोगों को मार कर टीले के नीचे दफना दिया है.
बाद में जब उस टीले की खुदाई की गई तो वहां से 39 कंकाल मिले. लापता भारतीयों की तादाद भी 39 थी. लिहाज़ा शक हुआ कि शायद ये लाशें उन्हीं लापता 39 भारतीयों की हैं. बाद में कंकाल से बरामद बाल, कड़े और जूतों से यकीन होने लगा कि मरने वाले हिंदुस्तानी ही हैं. लिहाज़ा अब उन सभी लाशों के डीएनए को उस डीएनए से मिलाया गया जो विदेश राज्य मंत्री इराक लेकर गए थे. 38 लाशों के डीएनए लापता भारतीयों से मैच कर गए. यानी ये साबित हो गया कि जून 2014 से लापता उन भारतीयों को बगदादी के आतंकवादियों ने तभी मार डाला था.
ये बात पिछले तीन साल से भारत सरकार भी जानती थी. मगर वो उनकी मौत का एलान करने से बच रही थी. क्योंकि सरकार के पास कोई सबूत नहीं था. अब सबूत मिला तो मौत पर मुहर लगा दी गई और इसी के साथ उन परिवारों की उम्मीदें भी दफ्न हो गई, जो अपनों के जिंदा होने की आस लगाए बैठे थे. अब उन सभी घरों में मातम पसरा है.