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बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू, पीएम ने सभी दलों से की सहयोग की उम्मीद

parliament-of-india_1461304294एजेंसी/  संसद के बजट सत्र के दूसरे हिस्से के आगाज सोमवार को हो गया। सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दलों से सहयोग की अपील की है। हालांकि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर सियासी महाभारत की उम्मीद जताई जा रही है।

इस बीच संसद का सत्र शुरू होते ही राज्यसभा में नए सांसदों ने शपथ लिया। इससे पहले संसद सत्र की कार्यवाही शांतिपूर्ण और सुचारु रूप से चलाने के लिए लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की ओर से रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई।

इस बैठक में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने तीखे तेवर दिखा कर अपने भावी इरादे का इजहार कर दिया है। कांग्रेस ने तो इस मामले में संसद के दोनों सदनों में कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस भी दे दिया है।

बैठक में विपक्ष ने सूखा, दाल की बढ़ती कीमत, उद्योगपति विजय माल्या के विदेश भागने जैसे मुद्दे पर भी चर्चा की मांग की है। दूसरी ओर सरकार ने विपक्ष के हमले की काट केलिए आतंकी इशरत जहां मामले में यूपीए सरकार के कार्यकाल में हलफनामे में हुए बदलाव को जोर-शोर से उठाने की रणनीति बनाई है।गौरतलब है कि सत्र के दूसरे हिस्से में सरकार शत्रु संपत्ति अध्यादेश, इनसॉल्वेंसी एवं बैंकरप्सी कोड और कंपनी संशोधन बिल को कानूनी जामा पहनाना चाहेगी।

सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का मुद्दा विपक्ष का सबसे अहम एजेंडा होगा। इस मुद्दे पर विधानसभा, अदालत और सड़क पर सियासी लड़ाई के बाद विपक्ष का इरादा अब संसद में सरकार से मुठभेड़ करने का है। खड़गे ने कहा कि केंद्र ने ऐसा कर लोकतंत्र की हत्या की है।

इस कारण उसे हाईकोर्ट की फटकार झेलनी पड़ी है। उन्होंने संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देने की बात कही। हालांकि, स्पीकर महाजन ने कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार नहीं करने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि बैठक में यह मुद्दा उठा है, मगर सबको पता है कि मामला अदालत के विचाराधीन है।

संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा अगर कांग्रेस उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का मुद्दा संसद में उठाती है तो उसे इस बात का जवाब देना होगा कि बीते वर्षों में चुनी गई सरकारों को हटाने के लिए उसने अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल क्यों किया।

जिन चुनी गई सरकारों को बर्खास्त किया गया वे बहुमत में थीं और कोई संवैधानिक संकट भी नहीं था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 88 बार अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 50 बार इसका इस्तेमाल किया गया था।

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