उत्तर प्रदेशलखनऊ

बड़ी खबर: शिक्षक बने शिक्षामित्रों को वेतन देने पर रोक

akhilesh-yadav-1282-1-562415d1b7e7a_exlstदस्तक टाइम्स/एजेंसी-लखनऊ :राज्य सरकार ने सहायक अध्यापक पद पर समायोजित होने वाले शिक्षा मित्रों को वेतन देने पर रोक लगा दी है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा डिंपल वर्मा की ओर से सोमवार को इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए गए।

इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट के फैसले के तहत वेतन भुगतान अगले आदेश तक रोक दिया गया है।

शासन की ओर से सोमवार को जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा दाखिल करने का फैसला किया है।

इसके लिए बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को निर्देश दे दिया गया है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के लिए नियमावली में संशोधन कर टीईटी से छूट दे दी थी।

दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण देकर दो चरणों में 1,35,978 शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाया गया।

 

हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी गई और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने टीईटी से छूट देने को गलत बताया। हाईकोर्ट ने इसके आधार पर शिक्षा मित्रों का समायोजन अवैध करार देते हुए इसे रद्द कर दिया है।

शिक्षा मित्रों का आज से कार्य बहिष्कार
उत्तर प्रदेश दूरस्थ शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार को शिक्षा मित्रों के भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं है।

हाईकोर्ट ने शिक्षा मित्रों का समायोजन 12 सितंबर को रद्द किया। लेकिन इसके पहले का भी सहायक अध्यापक बनने वाले शिक्षा मित्रों को वेतन नहीं मिला है।

जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक शिक्षा मित्रों के बारे में ऐसा निर्णय लिया जाना चाहिए था, जिससे उनका परिवार पलता रहे।

 

सीतापुर जिले में मानदेय की मांग को लेकर शिक्षामित्रों ने सोमवार को मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। शिक्षामित्रों ने मांग की कि उन्हें अप्रैल से मानदेय नहीं मिला है, जिसका भुगतान अतिशीघ्र किया जाए।

विभाग की लापरवाह नीति के कारण शिक्षामित्रों के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है। इससे शिक्षामित्र के साथ उनका परिवार भी परेशान है।

शिक्षामित्रों ने आठ माह के मानदेय को दिए जाने की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में जितेंद्र मौर्य, कमलेश शर्मा, सुमेर सिंह यादव, चंद्रकली मौर्य, नवीन श्रीवास्तव आदि शामिल हैं।

 

इसके अलावा बाराबंकी में मांगों को लेकर शिक्षामित्रों ने सोमवार को कलक्ट्रेट का घेराव कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्रों ने अपनी तीन सूत्री मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा है।

धरने को संबोधित करते हुए शिक्षामित्र संघर्ष मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष राजवीर सिंह ने कहा कि समायोजित किए गए शिक्षामित्रों के वेतन और शिक्षामित्रों के मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा है जिसकी वजह से शिक्षामित्र आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभागीय लापवाही के चलते अप्रैल 2015 से शिक्षामित्रों को मानदेय नहीं दिया गया है।

छह माह से शिक्षामित्र बिना मानदेय के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। शिकायतों के बावजूद विभागीय अधिकारियों की सेहत पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। यही कारण है कि शिक्षामित्र आंदोलन को मजबूर हैं।

 

मोर्चा के अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि अदालत के एक आदेश ने शिक्षामित्रों को फर्श पर लाकर पटक दिया है तो विभाग भूखों मरने के लिए मजबूर कर रहा है।

शिक्षामित्रों को अवेशष मानदेय और वेतन देने के बजाए मनमानी कर रहे हैं। इस बाबत कई बार बीएसए और लेखाधिकारी को ज्ञापन भी दिया जा चुका है लेकिन समस्या का आज तक समाधान नहीं हो सका है।

यदि जल्द ही अवेशष मानदेय और वेतन नहीं दिया जाता है तो शिक्षामित्र जोरदार प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

इस मौके पर आनंद प्रताप सिंह, जेबा परवीन, लक्ष्मी यादव, प्रदीप मिश्रा, श्रुति सिंह, विनोद मिश्रा, ज्ञानेन्द्र पाठक, रामधन यादव, मो. इरफान, संजय वर्मा, प्रताप पांडेय आदि मौजूद रहे।

 

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