अजब-गजब

बहुत अजीब है किन्नरों की शादी, सिर्फ एक ही रात के लिए करते है ये काम

किन्नर समाज में आने वाले हर नए किन्नरों का स्वागत बहुत ही जोरदार तरीके से होता है. नए किन्नर के स्वागत में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन होता है जिसमें नाच-गाने के अलावा दावत भी होती है. किन्नरों की शादी नहीं होती. लेकिन एक जगह ऐसी है जो इस बात को झुठलाती है. यहां किन्नर न केवल सोलह श्रृंगार कर अपने दुल्हे से विवाह करते हैं. बल्कि विवाह के बाद वो विधवा भी हो जाती हैं.

भगवान से करते है शादी

किन्नर जिसे आप विवाह या फिर किसी शुभ मुहूर्त में शिरकत करके आर्शीवाद देखा होगा. माना जाता है कि किन्नर का आर्शीवाद किसी भगवान से कम नहीं होता है. लेकिन आप जानते है कि किन्नर भी एक दिन के लिए विवाह करते है. वो भी भगवान से.

विवाह के दुसरे दिन हो जाते है विधवा

जी हां किन्नर एक दिन के लिए भगवान से विवाह करते है और दूसरे दिन ही विधवा हो जाते है.

इरावन से करते है शादी

वह अपने भगवान अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाते है. वह इनसे विवाह करते है.

विवाह के बाद मानते है जश्न

आप ये बात जानकर हैरान रह जाएंगे कि विवाह के बाद किन्नर जश्न मनाते है.

पुरे शहर में इरावन देवता को घुमाने के बाद तोड़ देते है मूर्ति

इसके बाद अपने देवता इरावन को पूरे शहर में घूमाते है. इसके बाद उस मूर्ति को तोड़ देते है.

विलाप करने के बाद हो जाते है विधवा

फिर किन्नर विलाप करते है और विधवा हो जाते है.

ऐसे हुई किन्नर के विवाह की शुरुआत

किन्नर के विवाह की शुरुआत महाभारत से बताई जा रही है. इसके अनुसार महाभारत के युद्ध में हिस्‍सा लेने से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की और पूजा के बाद इन्‍हें एक राजकुमार की बलि देनी थी. बलि के लिए कोई भी राजुकमार तैयार नहीं हुआ. मगर इरावन तैयार हो गया, लेकिन उसकी एक शर्त थी कि वह बिना शादी किए बलि पर नहीं चढ़ेगा. आप सबसे बड़ा सवाल था कि एक दिन के लिए इरावन से शादी कौन करेगा. उस मुश्किल परिस्थिति में भगवान श्रीकृष्ण ने एक रास्ता निकला था. उन्होंने खुद ही मोहिनी रूप धारण कर लिया था. जब भगवान श्रीकृष्ण में मोहिनी रूप धारण करके इरावन के मने गए और फिर उन्होंने शादी कर ली और अगले दिन बलि के बाद श्रीकृष्ण ने विधवा बन कर विलाप भी किया था तब से किन्नर इरावन को अपना भगवान मानते है.

यहाँ निभाई जाती है ये परंपरा

किन्नरों की शादी की ये परंपरा तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव कुवगाम में निभाई जाती है जहाँ ज्यादातर किन्नरों का समाज ही मिलेगा. यहाँ पर तमिल नव वर्ष को आने वाली पहली पूर्णिमा को हजारों लाखो किन्नरों की शादी होती है, ये त्यौहार 18 दिनों तक धूम धाम से चलता है. आपको बता दे की 17 वें दिन किन्नरों की शादी हो जाती है किन्नरों को पुरोहित मंगलसूत्र पहनाते है.

Related Articles

Back to top button