बांध बनाने के लिए चीन की मदद से पाकिस्तान का इनकार
- चीन से उसके मुस्लिम सहयोगी दोस्त एक-एक कर दूर हो रहे हैं
नई दिल्ली : पाकिस्तान ने दायमेर-बाशा बांध के लिए मिलने वाली चीन की मदद को ठुकरा दिया है। सिंधु नदी पर बनने वाले इस बांध के लिए पहले चीन की तरफ से आर्थिक सहयोग मिलने वाला था। चीन पाकिस्तान कॉरिडोर (सीपीईसी) का हिस्सा एक रेलवे प्रॉजेक्ट में भी पेइचिंग की भागीदारी इस्लामाबाद ने सीमित कर दी है। दूसरे मुस्लिम देश मलयेशिया ने भी करोड़ों बिलियन डॉलर प्रॉजेक्ट से बनने वाले रेल लिंक प्रॉजेक्ट में चीन के दखल को रद्द कर दिया है। यह रेल लिंक मलयेशिया के पूर्वी और पश्चिमी तटों को जोड़ने के लिए है। मलयेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक खुलकर चीन को अपना करीबी दोस्त बताते थे। उन्होंने चीन के साथ कई बड़े प्रॉजेक्ट साइन किए थे और मलयेशिया में कई महत्वपूर्ण सरकारी परियोजनाओं में भी चीन की तरफ से बड़ा निवेश प्रस्तावित था। ईस्ट कोस्ट रेल लिंक (ईसीआरएल) बनाने के लिए 19.6 बिलियन डॉलर रकम खर्च होने वाली थी। रजक चुनाव हारने के बाद से राजनीतिक जीवन में मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं। उन पर इस वक्त भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं और पूर्व में उनकी सरकार के सभी फैसलों की नई सरकार समीक्षा कर रही है। मलयेशिया ने प्रॉजेक्ट महंगा होने का बताकर इससे किनारा कर लिया है।
मलयेशिया के आर्थिक मामलों के मंत्री अजमीन अली ने कहा, ईसीआरएल प्रॉजेक्ट हमारे लिए काफी महंगा है। अगर हम इस प्रॉजेक्ट को समाप्त नहीं करते तो सिर्फ ब्याज के तौर पर हर साल हमें 120 मिलियन रकम चुकानी होती और देश के मौजूदा हालात में हम इतना महंगा लोन नहीं दे सकते हैं। मलयेशिया के नए प्रधानमंत्री माहातिर मोहम्मद ने पिछले साल चीन के प्राकृतिक गैस पाइपलाइन प्रॉजेक्ट को भी रद्द कर दिया था। कुआलालम्पुर ही नहीं दूसरे मुस्लिम देश भी चीन से किनारा कर रहे हैं। इंडोनिशया को दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम मुल्क माना जाता है, भी चीन को आंखें दिखा चुका है। साउथ चाइना सी के एक हिस्से को इंडोनेशिया ने अपनी ऐतिहासिक मान्यताओं का हवाला देकर नॉर्थ नौताना सी नाम दे दिया है। इंडोनेशिया अपने समुद्री हिस्से में चीन के मछली पकड़ने वाले जहाजों के आने पर भी नाराजगी जताता रहा है।