बातचीत के लिए सैनिकों को वापस बुलाए भारतः चीनी मीडिया
सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम में चीन के साथ तनातनी को खत्म करने के लिए विदेश मंत्रालय की ओर डिप्लोमेटिक चैनल के इस्तेमाल की बात कहने पर चीन की सरकारी मीडिया ने शनिवार को कहा कि भारत के साथ बातचीत की पूर्व शर्त भारतीय सैनिकों का डोकलाम से पीछे हटना है. चीन की सरकारी मीडिया का कहना है कि इस मामले में मोलभाव के लिए कोई जगह नहीं है.
चीन की स्टेट काउंसिल के तहत काम करने वाली और आधिकारिक प्रेस एजेंसी सिन्हुआ के एक लेख में कहा गया है कि चीन के लिए सीमा रेखा ही बॉटम लाइन थी. ऐसा पहली बार नहीं है कि चीन की सरकारी मीडिया ने इस वाक्य का प्रयोग किया है. पिछले सप्ताह भी सिन्हुआ और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अखबार पीपुल्स डेली ने इसका प्रयोग किया था.
लेख के मुताबिक, ‘डोकलाम क्षेत्र से सेना वापस बुलाने की चीन की मांग को भारत लगातार अनसुना कर रहा है. हालांकि चीन की बात नहीं मानना महीनों से चल रहे इस गतिरोध को और बिगाड़ेगा ही और बाद में भारत के लिए शर्मिंदगी का विषय बन जाएगा.’
इसमें कहा गया है कि भारत को मौजूदा स्थिति को पिछले दो मौकों की तरह नहीं देखना चाहिए जहां 2013 और 2014 में लद्दाख के पास दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने खड़ी हो गई थीं. दक्षिणी पूर्वी कश्मीर के इस हिस्से में भारत, पाकिस्तान और चीन की सीमाएं तकरीबन मिलती हैं. राजनयिक प्रयासों से दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष को सुलझा लिया गया था. हालांकि इस बार पूरा मामला अलग है.
तीन दशक का सबसे लंबा गतिरोध
भारत और चीन की सेनाओं के बीच मौजूदा गतिरोध पिछले तीन दशकों का सबसे लंबा गतिरोध माना जा रहा है. 18 जून को शुरू हुए इस गतिरोध पर बीजिंग ने कहा था कि दिल्ली ने सीमा समझौते का उल्लंघन किया है. भारतीय सैनिक सीमा पार कर अवैध तरीके से डोकलाम इलाके में घुस आए और चीनी सैनिकों द्वारा बनाई जा रही सड़क के निर्माण को रोक दिया. भारत ने सड़क निर्माण की ओर इशारा करते हुए कहा है कि क्षेत्र में सीमा अभी तय नहीं है और चीन मौजूदा स्थिति को न बदले.
सिन्हुआ के मुताबिक, भारत ने पहली बार दोनों देशों के बीच सीमा समझौते का उल्लंघन किया है. कई बार विरोध प्रदर्शन जताने के बाद भी चीन को अपने प्रयासों में असफलता मिली है. भारत को यह पता होना चाहिए कि डोकलाम में उसका ठहराव अवैध है और इसका मतलब यह नहीं है कि उसकी सेना वहां रूकी रहेगी. स्थिति के और खराब होने से पहले भारत को अपने फैसले पर विचार करना होगा.
विदेश सचिव के बयान का जिक्र
लेख में विदेश सचिव एस जयशंकर के हालिया बयान का भी जिक्र है, जिसे सकारात्मक दिखाया गया है. यह कहता है, ‘जैसा कि एक पुरानी चीनी कहावत है, शांति सबसे कीमती चीज है. यह नोट करने वाली बात है कि भारत के विदेश सचिव सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने हाल ही में सिंगापुर में इस मसले पर सकारात्मक टिप्पणी की. जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन को अपने मतभेदों को विवाद नहीं बनाना चाहिए. चीन, भारत से इसी तरह के और सकारात्मक कदमों की अपेक्षा करता है.’
चीन विरोधी भावना भड़का रहे राष्ट्रवादी
सिन्हुआ ने अपने लेख में भारत में चीन विरोधी भावनाओं का भी जिक्र किया है. लेख के मुताबिक, हाल के सालों में भारत के राष्ट्रवादी समूहों ने चीन विरोधी भावनाओं को भड़काया है. भारत-चीन सीमा पर जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध बना हुआ है, चीन निर्मित सामानों के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है.