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बाल श्रम के अपराधी को अदालत ने सुनाई अनोखी सजा, पहले कभी किसी को नही मिली होगी ऐसा सजा

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने नाबालिग बच्ची को घरेलू कार्य के लिए रखने वाले दंपति के विरुद्ध दर्ज प्राथमिकी को ख़ारिज करते हुए उन्हें 100 पौधे लगाने और पीड़ित को 1।5 लाख रुपए बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया है। जस्टिस नजमी वजीरी ने मामले में संलिप्त अन्य दो लोगों को पौधे लगाने के कार्य में श्रमदान देने तथा पौधों की देखरेख करने का आदेश दिया है।

ये दोनों वो एजेंट है जिन्होंने नाबालिग बच्ची को दंपति के यहां काम पर लगवाया था। कोर्ट ने दंपति पर 1।5 लाख रुपए और दोनों एजेंट 10-10 हजार रुपए का जुर्माना ठोंकते हुए यह राशि नाबालिग बच्ची को देने का फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि इन परिस्थितियों में, प्राथमिकी तथा इससे संबंधित सभी कार्यवाहियां ख़ारिज की जाती हैं।

आपको बता दें कि भारत में बढ़ते बाल श्रम को देखते हुए कई गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने इसके खिलाफ आवाज़ बुलंद की थी, जिसके बाद अदालत ने इसे जुर्म की श्रेणी में डालते हुए बाल श्रम पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। इसी को लेकर किसी ने नाबालिग बच्ची से घर का काम करा रहे दंपत्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी थी। यहाँ से ये मामला अदालत में पहुंचा, तो अदालत ने दोनों पक्षों की दलील को सुनते हुए अपना फैसला सुनाया है।

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