लखनऊ

बालिका गृह में लड़की हुई गर्भवती, दो और का होगा प्रेग्नेंसी टेस्ट

एजेन्सी/ rape-sex-crime_1458145983राजकीय बालिका गृहों में रहने वाली लड़कियों की सुरक्षा फिर सवालों के घेरे में है। मोतीनगर स्थित राजकीय बालिका गृह में रहने वाली एक संवासिनी के गर्भवती होने का सच सामने आने के बाद संवासिनियों की हिफाजत को लेकर सवाल उठ रहे हैं। 

जानकारी होने पर उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सोमवार देर रात आश्रय गृह में छापा मारा। लड़की का मेडिकल कराने के बाद आयोग ने उसके गर्भवती होने की पुष्टि की है। 

वहीं सच सामने आने पर राज्य महिला एवं बाल कल्याण विभाग मंत्री शादाब फातिमा ने अधीक्षिका रुपिंदर कौर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

उन्होंने अमर उजाला को बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। इससे पहले भी रुपिंदर कौर के खिलाफ काफी शिकायतें आ चुकी थीं।

बताया जा रहा है कि चार साल पहले 20 वर्षीय एक लड़की को उसकी बहन के साथ मोतीनगर स्थित राजकीय बालिका गृह में आश्रय दिलाया गया था। माता-पिता की असमय मौत के बाद वे दोनों अनाथ हो गई थीं। 

जो लड़की गर्भवती हुई है, वह पास के ही एक डिग्री कॉलेज में पढ़ती है। बालिका गृह में खाना बनाने वाली महिला के बेटे से उसका अफेयर चल रहा था। पिछले साल जुलाई में बालिका गृह प्रशासन को लड़कियों के पास मोबाइल होने की जानकारी हुई।

जांच होने पर दोनों के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत होने का सच सामने आया। दोनों को न मिलने की हिदायत दी गई, लेकिन दोनों की मुलाकात जारी रही। कॉलेज जाने के बहाने दोनों का मिलना-जुलना और लड़के के घर आना-जाना लगा रहा। 

पिछले हफ्ते बालिका गृह की लड़कियों की बलरामपुर अस्पताल में रूटीन जांच करवाई गई, जिसमें एक लड़की के गर्भवती होने का सच सामने आया। 

यह बात सोमवार रात बाल आयोग अध्यक्ष जूही सिंह को मालूम हुई तो उन्होंने तत्काल बालिका गृह पहुंचकर संवासिनी को डफरिन अस्पताल ले जाकर जांच करवाई। जांच में उसके गर्भवती होने की पुष्टि हुई। 

दूसरी ओर मामले में एडवा की यूथ विंग की एक्टिविस्ट शिवा मिश्रा ने बताया कि संवासिनी के गर्भवती होने की बात पता चलने पर बालिका गृह प्रशासन ने उसे गर्भ निरोधक गोलियां देना शुरू कर दिया था। 

वे गर्भ गिराना चाहते थे, लेकिन यह संभव नहीं हुआ। लड़की ने इसका विरोध किया। इस विषय पर अमर उजाला ने रुपिंदर कौर का पक्ष जानना चाहा, लेकिन उन्होंने कोई बात करने से इन्कार कर दिया। 

बालिका गृह प्रशासन गर्भवती लड़की के साथ दो और लड़कियों को रायबरेली भेजने की तैयारी कर चुका था। इसके लिए दो दिन पहले ही कागजात तैयार किए गए।
 
उधर बाल आयोग का कहना है कि वह बालिका गृह से रायबरेली के महिलापुनर्वास केंद्र भेजी जा रही दो लड़कियों का भी मेडिकल टेस्ट करवाएगा। इस बात की आशंका है कि कहीं वे दोनों भी गर्भवती न हों और इस बात छिपाने के लिए उनकी शिफ्टिंग किए जाने की तैयारी थी। आयोग ने बालिका गृह की अधीक्षिका रुपिंदर कौर से स्पष्टीकरण मांगा है। 

उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह का कहना है, अधीक्षिका से पूछा गया है कि लड़की को अकेले कॉलेज या स्कूल नहीं भेजा सकता, उसके साथ कोई स्टाफ सदस्य जाता है। 

इसके बावजूद उसे अकेले क्यों जाने दिया जाता रहा। यह भी पूछा है कि अधीक्षिका को लड़के-लड़की के बीच मेलजोल की जानकारी होने पर भी पहले सक्षम अधिकारियों को सूचित क्यों नहीं किया।

बालिका गृह में लड़का कैसे आया?  जिस तेजी से इन लड़कियों को लखनऊ से हटाकर रायबरेली भेजने का प्रयास किया जा रहा है उससे किसी गड़बड़ की आशंका है। मेडिकल में उनके गर्भवती होने या न होने की पुष्टि की जा सकेगी। 

दूसरी ओर अधीक्षिका रुपिंदर कौर ने मंगलवार सुबह लड़के को बालिका गृह बुलाया। उसे लड़की के साथ संबंध बनाने के लिए डांटा, लेकिन साथ ही उसे को ले जाने के लिए कह दिया। 

लड़के का कहना है कि वह और लड़की लंबे समय से एक दूसरे को पसंद करते हैं। कुछ समय पूर्व उसने अपनी मां से उस लड़की से शादी करने की बात कही थी, जिसके बाद कुंडली का मिलान कराया गया। वह बताता है कि साढ़े 27 गुण मिले हैं और वे दोनों चाहते हैं कि जल्द शादी हो जाए।

 
 

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