बिहार: 3 जून को होगा बोर्ड परीक्षा के टॉपर्स का रिव्यू एग्जाम, मंत्री बोले- साख पर लगा धब्बा
बिहार बोर्ड में इंटरमीडिएट की परीक्षा में टॉप करने वाले छात्रों के रिजल्ट पर रोक लगा दी गई है. सोमवार को इंटरमीडिएट में टॉप करने वाले छात्रों की असलियत दिखाई थी कि किस तरह उन्हें अपने विषय की बेसिक जानकारी भी नहीं है. जिसके बाद शासन-प्रशासन की नींद टूटी और तत्काल जांच के आदेश दिए गए.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने आर्ट्स की टॉपर रूबी कुमारी और साइंस के सौरभ श्रेष्ठ के रिजल्ट पर रोक लगा दी है. समिति ने 3 जून को इनका रिव्यू एग्जाम कराने का भी आदेश दिया है. इस दौरान विषय के विशेषज्ञ छात्रों की परीक्षा लेंगे.
विषय का नाम भी नहीं बता पाई टॉपर
बिहार इंटरमीडिएट के टॉप करने वाली रूबी कुमारी को अपने विषय तक की जानकारी न होना ‘पॉलिटिकल’ साइनंस को ‘प्रोडिकल’ साइंस कहना या फिर पॉलिटिकल साइंस में खाना बनाने के बारे में पढ़ाए जाने जैसी जानकारी रखने वाली छात्रा पर संकट के बादल छाने लगे हैं. बोर्ड ने छात्रा की कॉपी दोबारा उसके सामने जांचने की प्रक्रिया शुरू की थी.
शिक्षा मंत्री ने कहा- हुई है चूक
इंटरमीडिएट परीक्षा में टॉपर के शर्मनाक जवाब और उनके ज्ञान से जहां बिहार की किरकिरी हो रही है वहीं बिहार शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने माना है कि व्यवस्था में कहीं न कहीं चूक हुई है जिसने सरकार की विश्वसनीयता पर धब्बा लगा दिया. मंत्री ने कहा कि एक सप्ताह के अंदर पूरे मामले की जांच कर ली जाएगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर शख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘हम मानते हैं कि एक-दो केस में चूक हुई लेकिन इससे पूरे परीक्षा परिणाम पर सवालिया निशान नहीं लगाया जा सकता है.’
पटना में हुई थी पहले कॉपी की जांच
विशुनदेव राय महाविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर काम कर चुके अमरेन्द्र कुमार सिंह बताते हैं कि इस कॉलेज की कॉपी, मूल्यांकन केन्द्र से दोबारा यहां लाई गई थी. यह काम बोर्ड की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता है. प्रोफेसर के मुताबिक वैशाली जिले के सभी इंटरमीडिएट स्कूल और कॉलेज की कॉपी कैमूर जिले के मूल्याकंन केन्द्रों पर भेजी गई थी, केवल विशुनदेव राय कॉलेज की कॉपी पटना के राजेन्द्र नगर स्थित स्कूल में भेजी गई थी. हालांकि बोर्ड की दलील है कि इस कॉलेज के पहले के इतिहास को देखते हुए इस पर विशेष नजर रखने के लिए इसको पटना में ही रखा गया. लेकिन अमरेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि पटना में इस कॉलेज से जुड़े लोगों ने सब कुछ पर्दे के पीछे से अपने हक में करवा लिया.
कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर ने खोले कई राज
विशुनदेव राय कॉलेज की स्थापना से 2011 तक उसी कॉलेज में प्रोफेसर रहने वाले अमरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि कॉलेज में पढ़ाई लिखाई की कोई सुविधा नहीं है, बल्कि पैसे के हिसाब से ग्रेडिंग होती है जितना पैसा दो उतना नंबर पाओ. इसके लिए कॉलेज में ए, बी, सी, ग्रेड बने हुए हैं. इस कॉलेज में अधिकतर बाहर के छात्र पढ़ते हैं. कई छात्र कोटा या अन्य जगहों पर कोचिंग करते हैं और परीक्षा यहां से देते हैं. वहीं नंबर के आधार पर नियोजित शिक्षक के तौर पर नौकरी भी मिल जाती है इसलिए यहां छात्र अधिक से अधिक पैसा देने के लिए तैयार होते हैं. साथ में इस कॉलेज का बोर्ड में अच्छी पैठ होना भी छात्रों को आकर्षित करता है. पिछले साल इस कॉलेज के 215 छात्रों की कॉपी एक ही हैंडराइटिंग से लिखी गई थी. इस मामले की जांच बिहार बोर्ड ने की थी. जांच में मामला सही पाया गया था. इस कॉलेज को ब्लैक लिस्ट करने का प्रस्ताव भी था, लेकिन कॉलेज ने न सिर्फ मामले को मैनेज किया बल्कि फिर से अपने कॉलेज को टॉप भी कराया.
सीसीटीवी की निगरानी में हुई थी परीक्षा
हालांकि इस बार की परीक्षा में इस कॉलेज पर प्रशासन की विशेष नजर थी. नकल पर नकेल कसने के लिए परीक्षा केन्द्र पर जबरदस्त निगरानी रखी गई थी, सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. पटना के मूल्यांकन केन्द्र पर भी सीसीटीवी कैमरा था. मूल्यांकन केन्द्र से सीलबंद अंक तालिका बोर्ड के सीनियर अधिकारियों की मौजूदगी में खोली गई. फिर गड़बड़ी कहां हुई ये जांच का विषय है. कॉलेज के प्रिसिंपल बच्चा राय इस मामले को लेकर निश्चित हैं. उनका कहना है कि बच्चों की प्रतिभा पर बेकार शक किया जा रहा है.