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बीजेपी के मन भा रहे नीतीश, चर्चाओं का बाजार गर्म
क्या भाजपा और जदयू के बीच नजदीकी बढ़ रही है? बीते दो महीने में सियासी हलके में दूसरी बार यह सवाल चर्चा का विषय बना है। पहली बार यह सवाल चर्चा का विषय तब बना था जब पार्टी ने अपने राष्ट्रीय परिषद में घोषित की गई दीनदयाल जन्म शताब्दी वर्ष संबंधी समिति में नीतीश कुमार को इकलौते मुख्यमंत्री के रूप में जगह दी थी।
दूसरी बार इस पर चर्चा शुरू होने का कारण तमाम विपक्षी दलों के विरोध के बीच नीतीश का मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के समर्थन में खड़ा होना है। चर्चा यह भी है कि बीते एक नवंबर को नीतीश कुमार ने भाजपा के एक शीर्ष नेता से मुलाकात भी की थी, मगर इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई। गौरतलब है कि जदयू करीब दो दशक तक भाजपानीत राजग का हिस्सा रहा है। बिहार में आठ साल तक दोनों दलों की गठबंधन सरकार थी।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद सत्ता बचाने के लिए नीतीश ने अपने धुर विरोधी राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला कर विधानसभा चुनाव में भाजपा को पटखनी तो दे दी, मगर साझा सरकार बनाने के बाद दोनों दलों के बीच कई मुद्दों पर तीखे मतभेद हैं। मतभेद की शुरुआत बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को जमानत दिए जाने के बाद हुई राजनीति से शुरू हुई।