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हरियाणा में बीएसपी अकेले लड़ेगी
नई दिल्ली : हरियाणा में कमजोर दिख रही बहुजन समाज पार्टी के चलते बीजेपी को एससी वोटरों को लुभाने का सुनहरा मौका दिख रहा है। आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मिशन-75 रखा है और यह लक्ष्य 17 सीटों पर पार्टी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। आपको बता दें कि 2014 में बीजेपी ने 17 एससी रिजर्व सीटों में से 8 सीटें जीतीं थीं। अब पार्टी ने इस पर फोकस किया है।
बीजेपी के महासचिव और हरियाणा के प्रभारी अनिल जैन ने बताया, इस बार हम सभी 17 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। 17 सितंबर को बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ जैन ने हरियाणा के झज्जर के खरखौदा में एक एससी सम्मेलन को संबोधित किया था। जैन ने बताया, हमें इन बैठकों से काफी अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं और हमने सभी 90 असेंबली सीटों पर एक-एक स्ष्ट सम्मेलन करने की योजना बनाई है। अब तक तीन ऐसी बैठकें हो चुकी हैं। गौरतलब है कि हरियाणा के कुल मतदाताओं में 19 फीसदी दलित हैं और 2009 तक बीएसपी की दलित वोटरों पर अच्छी पकड़ थी। 2009 के विधानसभा चुनाव तक बीएसपी का वोट शेयर 6-7 प्रतिशत के बीच रहता था। 2009 में बीएसपी को 6.7 फीसदी वोट मिले थे और दो सीटें पार्टी के खाते में आईं। पार्टी ज्यादा सीटें तो नहीं जीत सकी लेकिन इसने राज्य में बड़ी पार्टी के समीकरण को बिगाड़ दिया था। 2014 में बीएसपी का वोट शेयर घटकर 4 फीसदी पर आ गया और उसे केवल एक सीट पर ही विजय मिली। ऐसे में लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीएसपी सुप्रीमो मायावती हरियाणा में कई पार्टियों के साथ अलायंस करने की कोशिश में थीं लेकिन तालमेल नहीं बन पाया। अब पार्टी ने अकेले चुनाव लडऩे का फैसला किया है। इससे पहले बीएसपी ने अजय चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन करने की घोषणा की थी लेकिन बात नहीं बनी।