नई दिल्ली। भोपाल से चुनाव लड़ने की लालकृष्ण आडवाणी की इच्छा पूरी नहीं करने के बाद भाजपा ने शुक्रवार को उनके करीबी माने जाने वाले एक अन्य वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को राजस्थान के बाड़मेर से टिकट देने के उनके आग्रह पर ध्यान नहीं दिया। पार्टी ने सिंह की बजाय बाड़मेर से पूर्व सांसद कर्नल (अवकाशप्राप्त) सोनाराम चौधरी को टिकट देने की घोषणा की। इस समय पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग सीट का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे 75 वर्षीय जसवंत सिंह ने हाल में कहा था, ‘मैंने दार्जिलिंग के लिए काफी कुछ किया है। अपना आखिरी चुनाव मैं अपने मूल स्थान से लड़ना चाहता हूं।’ सिंह का गांव जासोल बाड़मेर जिले में आता है। उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह वहां से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। टिकट काटे जाने के बाद जसवंत सिंह अचानक सक्रिय हो गए हैं। आज दिल्ली से वो जोधपुर के लिए रवाना हुए। माना रहा है कि जसवंत सिंह आज जोधपुर में ही रहेंगे। तय कार्यक्रम के मुताबिक जसवंत सिंह आज जोधपुर में राजपुत नेताओं और समर्थकों से मिलेंगे। कल सुबह उनका बाड़मेर का कार्यक्रम तय है। जोधपुर से जैसलमेर के रास्ते वो बाड़मेर के लिए निकलेंगे और इस दौरान रोड शो भी निकालेंगे। जसवंत के नजदीकी सूत्रों का दावा है कि 24 मार्च को बाड़मेर में एक जनसभा के बाद वो निर्दलीय उम्मीदवार की हैसियत से नामांकन भरेंगे। कहा जा रहा है कि बाड़मेर की रैली में ही जसवंत बीजेपी से अलग होने का ऐलान कर सकते हैं। हर जेहन में एक ही सवाल है- क्या बगावत की राह पर बढ़ रहे हैं जसवंत। जोधपुर पहुंचने के बाद एयरपोर्ट पर ही जसवंत सिंह ने मीडिया से बात की। इस मौके पर जसवंत ने कहा कि बीजेपी दो हिस्सों में बंट चुकी है। एक असली बीजेपी है तो दूसरी नकली असली बीजेपी पर बाहरी लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। निर्दलीय चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर जसवंत ने इससे इनकार नहीं किया और कहा कि बातों का मतबल आप समझ ही सकते हैं। वहीं बाड़मेर से जसवंत सिंह को टिकट न देने पर बीजेपी ने अलग ही दलील दी है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जयपुर में एक रैली में कहा कि पार्टी में नेता बहुत हैं मगर कार्यकर्ताओं को टिकट दिया गया। जसवंत सिंह को टिकट न दिए जाने की ओर इशारा करते हुए वसुंधरा ने कहा कि कभी कभी कड़वी दवाई भी पीनी पड़ती है। उधर बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के मुताबिक पार्टी जसवंत सिंह की प्रतिभा का पूरा इस्तेमाल करेगी।