राज्य
बेटी की लाश देख सुधबुध खो बैठे पिता, बोले-मैंने तो बेटे की तरह पाला था
घरौंडा (करनाल)। ट्रेनी पायलट हिमानी कल्याण का शव जैसे अंतिम संस्कार के लिए उनके गांव पहुंचा माहौल गमगीन हो गया। बेटी की लाश देख पिता बार-बार एक ही बात कह रहे थे- मैंने बेटा बेटी में फर्क नहीं किया। उसकी बेटे की तरह परवरिश की तभी उसे पायलट बनाने का सपना देखा, अधिकतर जमा पूंजी खर्च की लेकिन तकदीर को कुछ ओर ही मंजूर था।कैसे हुआ था हादसा…
– इंडिगो एयरलाइन में काम कर रहे एयरफोर्स से रिटायर जयवीर ने अपनी जमा पूंजी खर्च कर बेटी को पायलट बनाने का सपना देखा था। बेटी के पायलट बनने से महज 1 घंटे पहले जयवीर का सपना तब टूट गया, जब उसकी बेटी का प्लेन क्रैश हो गया।
– घटना मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की है, जहां बुधवार को प्लेन क्रैश हुआ। इसमें ट्रेनर रंजन गुप्ता (44) और ट्रेनी पायलट हिमानी कल्याण (23) की मौत हो गई।
– हिमानी कल्याण के पिता जयवीर मूल रूप से हरियाणा के करनाल जिले के कुटेल गांव के रहने वाले हैं।
– वे एयरफोर्स से रिटायर हैं, एक बेटी हिमानी और एक बेटा है। जयवीर का कहना है कि उन्होंने कभी अपनी बेटी को बेटे से कम नहीं समझा।
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– हिमानी पैदा तो कुटेल में हुई लेकिन उसकी पढ़ाई दिल्ली में हुई। फिलहाल पूरा परिवार दिल्ली में रह रहा है।
– वे एयरफोर्स से रिटायर हैं, एक बेटी हिमानी और एक बेटा है। जयवीर का कहना है कि उन्होंने कभी अपनी बेटी को बेटे से कम नहीं समझा।
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– हिमानी पैदा तो कुटेल में हुई लेकिन उसकी पढ़ाई दिल्ली में हुई। फिलहाल पूरा परिवार दिल्ली में रह रहा है।
पैतृक गांव में हुआ हिमानी का अंतिम संस्कार
– गुरुवार दोपहर 2 बजे हिमानी का शव गांव कुटेल में लाया गया। बुधवार से ही गांव में गम का माहौल था। परिजनों व गांव वालों ने नम आंखों से दोपहर 2.30 बजे अंतिम विदाई दी।
– गुरुवार दोपहर 2 बजे हिमानी का शव गांव कुटेल में लाया गया। बुधवार से ही गांव में गम का माहौल था। परिजनों व गांव वालों ने नम आंखों से दोपहर 2.30 बजे अंतिम विदाई दी।
यूं हुआ हादसा
– सीनियर ट्रेनर रंजन गुप्ता(44) ने ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट प्लेन नंबर-डी-42 NIKE से अपनी स्टूडेंट हिमानी कल्याण(23) के साथ महाराष्ट्र के गोंदिया के बिरसी हवाई पट्टी से सुबह 9:05 बजे उड़ान भरी थी।
– हिमानी भारत सरकार के संस्थान ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन ट्रेनिंग एंड मैनेजमेंट’ से ट्रेनिंग ले रही थी। इसे राजीव गांधी नेशनल फ्लाइंग इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता है।
– प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, लावनी और महाराष्ट्र के देवरी के बीच बाणगंगा नदी के किनारे सुबह करीब 10 बजे यह ट्रेनी प्लेन केबल में उलझ गया। इससे प्लेन क्रैश होने के बाद टुकड़ों में टूटकर बिखर गया।
– सीनियर ट्रेनर रंजन गुप्ता(44) ने ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट प्लेन नंबर-डी-42 NIKE से अपनी स्टूडेंट हिमानी कल्याण(23) के साथ महाराष्ट्र के गोंदिया के बिरसी हवाई पट्टी से सुबह 9:05 बजे उड़ान भरी थी।
– हिमानी भारत सरकार के संस्थान ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन ट्रेनिंग एंड मैनेजमेंट’ से ट्रेनिंग ले रही थी। इसे राजीव गांधी नेशनल फ्लाइंग इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता है।
– प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, लावनी और महाराष्ट्र के देवरी के बीच बाणगंगा नदी के किनारे सुबह करीब 10 बजे यह ट्रेनी प्लेन केबल में उलझ गया। इससे प्लेन क्रैश होने के बाद टुकड़ों में टूटकर बिखर गया।
आखिरी उड़ान पर हुई मौत
– हिमानी दो साल से ट्रेनिंग ले रही थी और सकी ट्रेनिंग यह आखिरी उड़ान थी।
– 1 घंटे बाद वह पायलट बनने वाली थी लेकिन यह उसकी जिंदगी की यह आखिरी उड़ान बन गई।
– कमर्शियल पायलट के लाइसेंस के लिए कम से कम 200 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव होना चाहिए और हिमानी तब तक 199 घंटे प्लेन उड़ाने का अनुभव ले चुकी थी।
– हिमानी दो साल से ट्रेनिंग ले रही थी और सकी ट्रेनिंग यह आखिरी उड़ान थी।
– 1 घंटे बाद वह पायलट बनने वाली थी लेकिन यह उसकी जिंदगी की यह आखिरी उड़ान बन गई।
– कमर्शियल पायलट के लाइसेंस के लिए कम से कम 200 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव होना चाहिए और हिमानी तब तक 199 घंटे प्लेन उड़ाने का अनुभव ले चुकी थी।