क्रिएशन ऑफ़ एम्प्लॉयमेंट पर नितिन गडकरी ने कहा, ‘बेरोजगारी की समस्या से निपटने में हर किसी को नौकरियां नहीं मिल सकती क्योंकि रोजगार और नौकरियों के बीच अंतर है। नौकरियों की सीमाएं हैं और इसलिए किसी भी सरकार की वित्तीय नीति का मुख्य हिस्सा रोजगार सृजन है।’
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि देश के सामने पेश आ रही मुख्य समस्याओं में से सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। साथ ही यह भी कहा कि रोजगार और नौकरियों के बीच ‘अंतर’ होता है। कांग्रेस और राहुल गांधी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर यह कहते हुए लगातार हमला करते रहे हैं कि उन्होंने 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था, जिसे पूरा नहीं कर सके। गडकरी ने नागपुर में फॉर्च्यून फाउंडेशन द्वारा आयोजित युवा सशक्तिकरण सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। रोजगार सृजन पर गडकरी ने कहा, ‘बेरोजगारी की समस्या से निपटने में हर किसी को नौकरियां नहीं मिल सकती क्योंकि रोजगार और नौकरियों के बीच अंतर है। नौकरियों की सीमाएं हैं और इसलिए किसी भी सरकार की वित्तीय नीति का मुख्य हिस्सा रोजगार सृजन है।’
गडकरी ने कहा, ‘यह सोचने की जरूरत है कि कैसे देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा किए जाए।’ उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और मैं दोनों नागपुर से हैं और हमने विदर्भ के कम से कम 50,000 युवकों को रोजगार मुहैया कराने का फैसला किया था। इसके अनुसार करीब 27,000 युवकों को विभिन्न तरीकों से पहले ही रोजगार के अवसर मिल चुके हैं और अगले साल तक यह 50,000 के आंकड़े को पार कर लेगा।’ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कई मौकों पर रोजगार के मामले में केंद्र सरकार पर निशाना साध चुके हैं। राहुल गांधी ने पिछले साल लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों पर मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाए।
उन्होंने ने कहा, ‘दो करोड़ युवाओं को जो रोजगार देने का वादा किया था, वो रोजगार कहां हैं? बीते एक साल में सिर्फ चार लाख रोजगार दिए गए। चीन हर 24 घंटे में 50,000 युवाओं को रोजगार देता है। आप 24 घंटे में सिर्फ 400 को रोजगार देते हो।’ 21 नवंबर 2013 को आगरा में एक चुनावी रैली में मोदी ने एनडीए के प्रधानमंत्री चेहरे के तौर पर एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। मोदी ने तब कहा था, ‘अगर बीजेपी सत्ता में आई तो ये एक करोड़ जॉब मुहैया कराएगी जो कि यूपीए सरकार पिछले लोकसभा चुनाव में वादा करने के बावजूद उपलब्ध नहीं करा पाई।’